9 दिन रहेंगें मौसी के घर गुंडीचा मंदिर
पुरी, ओडिशा।
पुरी की ऐतिहासिक और आस्था से जुड़ी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा इस बार एक दिन के विलंब से शनिवार, 28 जून को शुरू होगी। शुक्रवार को निर्धारित समय पर रथ यात्रा शुरू नहीं हो सकी क्योंकि सूर्यास्त के बाद रथ खींचने की अनुमति नहीं होती। यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसका कड़ाई से पालन किया जाता है।
क्यों रुकी रथ यात्रा?
परंपरागत रूप से जगन्नाथ रथ यात्रा दिन के उजाले में ही शुरू होती है। लेकिन इस बार पाहंडी यात्रा (भगवान को रथ तक लाने की रस्म) में समय अधिक लग गया। इसके चलते शाम ढल गई और सूर्यास्त के बाद रथ नहीं खींचे जाते, इसलिए आयोजन को अगले दिन तक के लिए टाल दिया गया।
शनिवार को 3 किमी की यात्रा करेंगे भगवान
अब यह रथ यात्रा शनिवार सुबह निकाली जाएगी और भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के रथों को भक्त गुंडीचा मंदिर तक खींचेंगे। मुख्य मंदिर से यह यात्रा करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडीचा मंदिर तक जाती है, जिसे भगवान की “मौसी का घर” कहा जाता है।

9 दिन तक रुकेंगे भगवान गुंडीचा मंदिर में
रथ यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ और उनके साथ सुभद्रा व बलभद्र 9 दिनों तक गुंडीचा मंदिर में विश्राम करेंगे। यह समय धार्मिक दृष्टि से बेहद शुभ माना जाता है। इन 9 दिनों में मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और प्रसाद वितरण का आयोजन होता है।

5 जुलाई को होगी भगवान की वापसी यात्रा
5 जुलाई को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की ‘बहुड़ा यात्रा’ (वापसी यात्रा) निकाली जाएगी। इस दिन भगवान वापस अपने मुख्य मंदिर लौटेंगे। वापसी के दौरान भक्तों की संख्या भी भारी रहती है और रास्ते में भव्य स्वागत होता है।

सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम
इस भव्य आयोजन को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए हैं। हजारों की संख्या में पुलिस बल, ड्रोन निगरानी, और मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं। साथ ही, रथ मार्ग पर साफ-सफाई, पानी की व्यवस्था और कंट्रोल रूम भी सक्रिय हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
जगन्नाथ रथ यात्रा को सनातन धर्म की सबसे बड़ी चल समारोह में से एक माना जाता है। इसमें भाग लेने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचते हैं। रथ को खींचना पुण्य का कार्य माना जाता है और ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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