नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि भारतीय भाषाएं आने वाले समय में देश को जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम बनेंगी। वे दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित राजभाषा विभाग के स्वर्ण जयंती समारोह में बोल रहे थे। अपने भाषण में शाह ने भारतीय भाषाओं की ताकत, प्रशासन में इनके उपयोग और देश की आत्मगौरव से जुड़ी भूमिका को रेखांकित किया।
“सरकारी प्रशासन आम नागरिकों की भाषा में हो”
अमित शाह ने कहा,
“जब तक हम अपनी भाषा में सोचेंगे नहीं, गर्व से बोलेंगे नहीं, तब तक गुलामी की मानसिकता से पूरी मुक्ति संभव नहीं है। सरकारी प्रशासन आम नागरिकों की भाषा में हो, यही लोकतंत्र और आत्मसम्मान का असली स्वरूप है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि वे व्यक्तिगत रूप से राज्यों से संपर्क करेंगे, ताकि प्रशासनिक कामकाज में भारतीय भाषाओं के उपयोग को बढ़ावा मिल सके।
जेईई, नीट जैसी परीक्षाएं अब भारतीय भाषाओं में
गृह मंत्री ने बताया कि
- अब जेईई, नीट और सीयूईटी जैसी राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाएं 13 भारतीय भाषाओं में आयोजित हो रही हैं।
- सीएपीएफ कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में भी यही व्यवस्था लागू है।
- 95% परीक्षार्थियों ने अपनी मातृभाषा में परीक्षा दी, जिससे साफ है कि देश का युवा अपनी भाषा में अधिक सहज महसूस करता है।
“हिंदी किसी भाषा की विरोधी नहीं, सभी की मित्र”
अमित शाह ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि
“हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की प्रतिद्वंद्वी नहीं, बल्कि सभी भाषाओं की मित्र है। भाषा कभी विवाद का कारण नहीं बननी चाहिए, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता का साधन होनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि पहले भाषाओं को देश को विभाजित करने के औजार के रूप में इस्तेमाल किया गया, लेकिन अब यह भारत को जोड़ने का सेतु बनेगी।

स्वर्ण जयंती समारोह में कई प्रमुख हस्तियों की मौजूदगी
इस आयोजन में कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:
- दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता
- केंद्रीय मंत्री बंदी संजय कुमार
- सांसद भर्तृहरि महताब
- राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति
- शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी
- हिंदी विदुषी डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन

राजभाषा विभाग की 50 वर्षों की यात्रा
अमित शाह ने राजभाषा विभाग की 1975 से 2025 तक की यात्रा को रेखांकित करते हुए कहा कि
“आजादी की शताब्दी वर्ष 2047 तक देश के आत्मगौरव से जुड़े हर प्रयास में राजभाषा विभाग का योगदान स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज होगा।”
उन्होंने भरोसा जताया कि आने वाले वर्षों में भारतीय भाषाओं का प्रभाव केवल शिक्षा या परीक्षा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि प्रशासन, न्याय व्यवस्था और तकनीक के क्षेत्र में भी इनकी भागीदारी बढ़ेगी।
अमित शाह का यह भाषण देश के भाषाई विविधता को सम्मान देने और उसे प्रशासनिक व शैक्षणिक तंत्र से जोड़ने का मजबूत संकेत है। यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार भारतीय भाषाओं को सम्मान देने के साथ-साथ उन्हें आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद बनाने के उद्देश्य से कार्य कर रही है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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