खाड़ी में 12 दिन की जंग के बाद ट्रम्प की मध्यस्थता से हुआ सीजफायर, अब बयानबाज़ी तेज
तेहरान/वॉशिंगटन/जेरूसलम। ईरान-इजराइल के बीच 12 दिनों तक चली खाड़ी की जंग थमने के बाद अब राजनीतिक बयानबाज़ी का दौर शुरू हो गया है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने इजराइल पर ‘ऐतिहासिक जीत’ का दावा करते हुए कहा है कि ईरानी सेना ने दुश्मन को “धराशायी और कुचल” दिया। उन्होंने अमेरिका पर भी निशाना साधते हुए कहा कि अगर अमेरिका ने हस्तक्षेप न किया होता तो इजराइल पूरी तरह मिट चुका होता।
खामेनेई का दावा: इजराइल हार गया, अमेरिका को झटका
ईरानी सर्वोच्च नेता खामेनेई ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट X पर पोस्ट करते हुए कहा –
“मैं ईरान की जनता को इजराइल पर जीत की बधाई देता हूं। यह झूठी और जालिम सरकार अब कमजोर हो चुकी है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि अमेरिका को डर था कि यदि उसने दखल न दिया, तो इजराइल का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
“अमेरिका जंग में इसलिए कूदा क्योंकि उसे अंदेशा था कि उसका सबसे बड़ा सहयोगी खत्म हो जाएगा। लेकिन उसे भी ईरान ने मुंहतोड़ जवाब दिया।”
खामेनेई ने यह भी कहा कि ईरान ने मध्य-पूर्व में स्थित अमेरिकी एयरबेस पर हमला कर उन्हें नुकसान पहुंचाया।
“अगर हमें फिर किसी हमले का सामना करना पड़ा, तो हम दुश्मन को भारी कीमत चुकवाएंगे। हमारी पहुंच अमेरिका के अहम ठिकानों तक है।”
ट्रम्प का बयान: ईरान ने साहस दिखाया
इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने नीदरलैंड में NATO समिट के दौरान कहा कि
“ईरान ने इस युद्ध में बहादुरी दिखाई है। युद्ध के बाद वह आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित हुआ है और उसे तेल बेचने की जरूरत है।”
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि चीन अगर ईरान से ऑयल खरीदना चाहता है तो अमेरिका को कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि व्हाइट हाउस ने तुरंत सफाई दी कि
“यह बयान ईरान पर लगे प्रतिबंधों में किसी छूट का संकेत नहीं देता।”
कैसे शुरू हुआ यह टकराव?
13 जून को इजराइल ने ईरान की परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाकर पहला हमला किया था।
इसके जवाब में ईरान ने ड्रोन और मिसाइल हमलों के जरिए इजराइल और अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाया।
यह युद्ध 12 दिन तक चला और 24 जून को अमेरिकी मध्यस्थता से सीजफायर हुआ।
इस जंग में ईरान के 627 नागरिकों की और इजराइल के 28 नागरिकों की मौत हुई।
अब क्या आगे?
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, सीजफायर के बाद भी ईरान और इजराइल के बीच तनाव बना रहेगा। अमेरिका का रुख भले ही तटस्थ दिखाया जा रहा हो, लेकिन ट्रम्प के बयान और खामेनेई के तीखे शब्दों से स्पष्ट है कि मिडिल ईस्ट में अस्थिरता अभी खत्म नहीं हुई है।
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