गांधीनगर। आम आदमी पार्टी (आप) की गुजरात इकाई में गुरुवार को बड़ा घटनाक्रम सामने आया जब बोटाद से विधायक उमेश मकवाना को पार्टी ने पांच वर्षों के लिए निलंबित कर दिया। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब मकवाना ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर सिर्फ कार्यकर्ता के रूप में पार्टी से जुड़े रहने की घोषणा की थी।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ईसुदान गढ़वी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि मकवाना को पार्टी और गुजरात विरोधी गतिविधियों के कारण निलंबित किया गया है।
पद छोड़ने की घोषणा के बाद सख्त कार्रवाई
उमेश मकवाना ने हाल ही में पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर पार्टी के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव और विधानसभा में मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दिया था। पत्र में उन्होंने कहा कि:
“पिछले ढाई वर्षों से मैं विभिन्न पदों पर कार्यरत रहा हूं, लेकिन अब मुझे लगता है कि सामाजिक सेवा की क्षमता में कमी आई है। इसीलिए मैं सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं और आगे एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में पार्टी की सेवा करता रहूंगा।”
हालांकि पार्टी नेतृत्व ने इसे केवल इस्तीफा मानने के बजाय विरोधी गतिविधि और अनुशासनहीनता के रूप में देखा और सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें 5 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया।

विसावदर में जीत, बोटाद में असंतोष
गुजरात उपचुनाव में आम आदमी पार्टी को हाल ही में विसावदर सीट पर बड़ी जीत मिली, जहां गोपाल इटालिया ने भाजपा को हराया। यह जीत पार्टी के लिए उत्साहवर्धक थी, लेकिन उमेश मकवाना के इस्तीफे और निलंबन ने इस खुशी को आंशिक रूप से झटका दिया है।
पार्टी के भीतर यह चर्चा है कि कुछ वरिष्ठ नेता मौजूदा संगठनात्मक संरचना और फैसलों से असंतुष्ट हैं, और मकवाना का यह कदम भी उसी असंतोष की अभिव्यक्ति हो सकता है।
2022 में जीता था बोटाद, भाजपा को हराया था
वर्ष 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव में उमेश मकवाना ने भाजपा के घनश्याम विरानी को 2,779 वोटों से हराकर बोटाद सीट जीती थी। मकवाना को कुल 80,581 वोट मिले थे, जबकि विरानी को 77,802 वोट हासिल हुए थे।
उस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने कुल 5 सीटें जीती थीं और लगभग 13% वोट शेयर प्राप्त किया था। उस प्रदर्शन के बाद पार्टी गुजरात में खुद को कांग्रेस के विकल्प के रूप में स्थापित करने का दावा कर रही थी।
अब आगे क्या?
मकवाना ने अभी तक पार्टी से औपचारिक अलगाव नहीं किया है और खुद को ‘सामान्य कार्यकर्ता’ बताया है, लेकिन पार्टी की ओर से पांच साल की निलंबन की घोषणा ने उनके भविष्य को अनिश्चित बना दिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार, यह घटनाक्रम आप की गुजरात इकाई में संगठनात्मक असंतुलन और अंदरूनी मतभेदों की ओर संकेत करता है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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