- ऑपरेशन के दौरान सुबह तक चली फायरिंग, 6 दिन में दूसरी बड़ी कामयाबी, शाह की 2026 डेडलाइन की ओर तेज़ कदम
नारायणपुर (छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के अतिसंवेदनशील अबूझमाड़ इलाके में एक बार फिर सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है। नारायणपुर जिले के कोहकामेटा थाना क्षेत्र में चल रहे सर्च ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई, जिसमें 2 नक्सली मारे गए हैं। उनके शवों के साथ एक 315 बोर की राइफल, अन्य हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है।
आधी रात से ऑपरेशन, सुबह तक चली गोलीबारी
पुलिस को खुफिया सूचना मिली थी कि अबूझमाड़ के कोहकामेटा क्षेत्र में नक्सलियों की मौजूदगी है। इस इनपुट के आधार पर नारायणपुर से डीआरजी (DRG) और कोंडागांव से एसटीएफ (STF) की संयुक्त टीम को रवाना किया गया। बुधवार रात जब बल नक्सलियों के ठिकाने पर पहुंचे तो दोनों ओर से भीषण गोलीबारी शुरू हो गई। सुबह सर्च ऑपरेशन के दौरान दो नक्सलियों के शव बरामद किए गए। वहीं क्षेत्र में अब भी तनाव बना हुआ है और सुरक्षाबलों की तैनाती बनी हुई है।
6 दिन पहले कांकेर में मारी गई थी इनामी महिला नक्सली
यह मुठभेड़ ऐसे समय में हुई है जब 20 जून को कांकेर जिले के आमाटोला इलाके में भी सुरक्षाबलों ने 8 लाख की इनामी महिला नक्सली को मार गिराया था। वह छोटेबेटिया थाना क्षेत्र में सक्रिय थी और कई वारदातों में शामिल थी। उस ऑपरेशन के दौरान भी राइफल और नक्सली दस्तावेज बरामद हुए थे। दोनों मुठभेड़ें दर्शाती हैं कि सुरक्षाबल लगातार नक्सल गढ़ों में घुसकर कार्रवाई कर रहे हैं।
शाह की चेतावनी: 2026 तक नक्सलवाद खत्म करना है
गौरतलब है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले साल रायपुर में एक अहम बैठक में 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया था। तब से लेकर अब तक छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षाबलों ने नक्सल इलाकों में आक्रामक अभियान तेज कर दिया है। साय सरकार के गठन के बाद से अब तक 350 से अधिक नक्सली मारे जा चुके हैं। अबूझमाड़, बस्तर, सुकमा, कांकेर जैसे क्षेत्रों में लगातार ऑपरेशनों की संख्या बढ़ी है।
क्या है अबूझमाड़ की अहमियत?
अबूझमाड़ इलाका लंबे समय से नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना रहा है। घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों के कारण यहां पुलिस की पहुंच सीमित रही है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ड्रोन, ट्रैकिंग टेक्नोलॉजी और लोकल इंटेलिजेंस की मदद से सुरक्षाबलों ने अबूझमाड़ में कई ठिकानों को ध्वस्त किया है। नारायणपुर, कोण्डागांव, बीजापुर और दंतेवाड़ा की सीमाएं छूने वाले इस क्षेत्र में हर मुठभेड़ रणनीतिक रूप से बेहद अहम मानी जाती है।