विदेश नीति पर तारीफ से कांग्रेस के भीतर तनाव, थरूर की पोस्ट से अटकलें तेज
नई दिल्ली।
कांग्रेस पार्टी के भीतर एक बार फिर शशि थरूर को लेकर खिंचाव बढ़ता दिख रहा है। इस बार वजह बनी है थरूर द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति की सार्वजनिक तारीफ, जिसे लेकर पार्टी में नाराजगी और हलचल दोनों देखी जा रही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को बिना नाम लिए उन पर तंज कसते हुए कहा— “हमारे लिए देश पहले है, पार्टी बाद में, लेकिन कुछ लोग कहते हैं मोदी पहले, देश बाद में आता है।”
🔴 खड़गे का तंज, कांग्रेस की दूरी
दरअसल, शशि थरूर ने एक लेख में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक छवि और विदेश नीति की प्रशंसा की थी। इस लेख से पार्टी नेतृत्व असहज हो गया। खड़गे ने जब मीडिया से इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, “मैं अंग्रेजी ठीक से नहीं पढ़ पाता, लेकिन उनकी भाषा बहुत अच्छी थी, इसलिए उन्हें कार्यसमिति में रखा गया है।”
इस प्रतिक्रिया को हल्के हास्य के साथ गंभीर असहमति के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
🟠 थरूर का पलटवार: “आसमान किसी का नहीं होता”
खड़गे की टिप्पणी के तुरंत बाद थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक रहस्यमय पोस्ट साझा की, जिसमें लिखा था –
“उड़ने के लिए इजाजत मत मांगो… आसमान किसी का नहीं है।”
इस पोस्ट के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा शुरू हो गई है कि थरूर पार्टी से नाराज हैं और संभव है कि वे जल्द कोई बड़ा राजनीतिक कदम उठा सकते हैं।
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) June 25, 2025
🔵 कांग्रेस के भीतर बढ़ती बेचैनी
शशि थरूर हमेशा से कांग्रेस पार्टी में थिंक टैंक और स्वतंत्र सोच रखने वाले नेता माने जाते हैं। लेकिन हालिया वर्षों में उन्होंने कई बार पार्टी लाइन से अलग बयान दिए हैं। 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए खड़गे के सामने चुनाव लड़ना, फिर पार्टी की पारंपरिक रणनीति पर सवाल उठाना— ये सारी घटनाएं उन्हें नेतृत्व के करीब लाने के बजाय दूर करती चली गई हैं।
उनकी ताज़ा टिप्पणी और लेख ने पार्टी के भीतर उनकी स्थिति और असहज बना दी है।

🟢 क्या थरूर पार्टी बदल सकते हैं?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि थरूर का “आसमान किसी का नहीं है” वाला पोस्ट कोई साधारण प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि पार्टी में उनकी मौजूदा असंतोष की झलक है। इस बात की अटकलें भी तेज हो गई हैं कि क्या थरूर बीजेपी या किसी अन्य दल की ओर रुख कर सकते हैं, विशेषकर तब जब उन्होंने मोदी की छवि की सराहना सार्वजनिक रूप से की है।

🟡 पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण समय
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस जहां संगठन को पुनर्संयोजित करने में लगी है, वहीं इस तरह की सार्वजनिक असहमति उसके लिए संकट और संदेश दोनों लेकर आती है। थरूर जैसे नेता की आलोचना या उनका अलग रुख पार्टी को विचारधारा के स्तर पर भी असमंजस में डालता है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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