July 4, 2025 2:31 AM

‘संविधान की हत्या कभी नहीं भूलेगा भारत’: आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री मोदी का कांग्रेस पर तीखा प्रहार

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नई दिल्ली।
25 जून 1975 को देश में लगाए गए आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए इसे भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला बताया। उन्होंने कहा कि “कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूल सकता कि किस तरह संविधान की भावना को कुचला गया, संसद की आवाज दबाई गई और न्यायपालिका को नियंत्रित करने की कोशिश हुई। 42वां संशोधन इसी तानाशाही सोच का स्पष्ट प्रमाण है।”

मोदी ने आपातकाल को “संविधान हत्या दिवस” की संज्ञा दी और कांग्रेस पर लोकतंत्र को कैद करने, प्रेस की स्वतंत्रता छीनने और गरीबों, दलितों तथा हाशिए पर खड़े लोगों को विशेष रूप से निशाना बनाने का आरोप लगाया।


आपातकाल: लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे काले अध्याय, आपातकाल के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। 25 जून 1975 को कांग्रेस सरकार ने न सिर्फ लोकतंत्र को बंधक बनाया बल्कि जनता की आवाज, मीडिया की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों को पूरी तरह कुचल दिया।”

उन्होंने कहा कि भारत के नागरिक इस भयावह कालखंड को कभी नहीं भूल सकते। यह वह दौर था जब लाखों लोगों को बिना किसी अपराध के जेलों में ठूंसा गया, प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई और विरोध को कुचलने के लिए सत्ता का दुरुपयोग किया गया।


आपातकाल के संघर्ष सेनानियों को नमन

प्रधानमंत्री मोदी ने उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने कहा, “हम उन सभी को सलाम करते हैं जिन्होंने लोकतंत्र को बचाने के लिए अपनी आजादी की परवाह किए बिना संघर्ष किया। वे भारत के कोने-कोने से थे, अलग-अलग विचारधाराओं से आए थे, लेकिन उनका उद्देश्य एक था—भारतीय लोकतंत्र की रक्षा।”

उन्होंने यह भी कहा कि “उनका साहस और सामूहिक संघर्ष ही था जिसने तत्कालीन सरकार को चुनाव करवाने के लिए मजबूर किया, जिसमें कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।”


पीएम मोदी की निजी यादें और सीख

प्रधानमंत्री ने आपातकाल के समय को याद करते हुए कहा, “तब मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का युवा प्रचारक था। यह मेरे लिए न केवल एक राजनीतिक संघर्ष था, बल्कि एक गहरा जीवन अनुभव भी था। इस आंदोलन ने मुझे लोकतंत्र की महत्ता और उसकी रक्षा की जिम्मेदारी सिखाई।”

मोदी ने जानकारी दी कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा “द इमरजेंसी डायरीज” नामक एक पुस्तक प्रकाशित की गई है, जिसमें उनके आपातकाल के अनुभवों को संकलित किया गया है। इसकी प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने लिखी है, जो स्वयं उस समय आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक थे।


युवाओं को इतिहास से जोड़ने का आग्रह

प्रधानमंत्री ने देशवासियों से अपील की कि वे आपातकाल के दौरान अपने या अपने परिवारों के अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करें, ताकि नई पीढ़ी को उस दौर की सच्चाई पता चल सके। उन्होंने कहा, “1975 से 1977 तक का यह दौर भारत के लिए शर्मनाक समय था, जिसे याद रखना और भविष्य को सतर्क करना जरूरी है।”



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