नई दिल्ली। खाड़ी क्षेत्र में एक बार फिर तनाव गहराता जा रहा है। ईरान की संसद ने अमेरिकी हमलों के जवाब में स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद करने का प्रस्ताव पारित कर दिया है। यह प्रस्ताव लागू हो गया तो भारत समेत कई देशों को तेल संकट और महंगाई के झटके झेलने पड़ सकते हैं। पहले से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी हैं, और अगर संकट गहराया तो यह 120 से 150 डॉलर तक जा सकता है।
क्या है स्ट्रेट ऑफ होर्मुज और क्यों है यह इतना अहम?
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ने वाला एक बेहद संकरा समुद्री रास्ता है, जिसकी चौड़ाई केवल 33 किलोमीटर है। लेकिन इसकी रणनीतिक और आर्थिक अहमियत बहुत बड़ी है।
- दुनिया का लगभग 25% कच्चा तेल और 25% प्राकृतिक गैस इसी रास्ते से होकर गुजरते हैं।
- सऊदी अरब, इराक, ईरान, कुवैत और कतर जैसे बड़े तेल उत्पादक देशों के जहाज़ यहीं से तेल निर्यात करते हैं।
- भारत अपनी 40% से अधिक तेल जरूरतें इसी रूट से पूरी करता है।
अगर यह रास्ता बंद होता है, तो वैश्विक सप्लाई चेन पर भारी असर पड़ेगा और भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सीधा खतरा होगा।

ईरान ने यह फैसला क्यों लिया?
22 जून को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों (नतांज, फोर्डो और इस्फहान) पर हवाई हमले किए। यह हमले ईरान-इजराइल के तनावपूर्ण संबंधों की पृष्ठभूमि में हुए, लेकिन इससे तेहरान में रोष और प्रतिक्रिया बढ़ी।
इस हमले के बाद, ईरानी संसद ने स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को वैश्विक नौवहन के लिए बंद करने का प्रस्ताव पारित किया है। हालांकि, इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की अंतिम मंजूरी ज़रूरी है।
ईरान का संदेश साफ है—अगर उस पर दबाव बनाया गया तो वह वैश्विक तेल आपूर्ति को बंद कर सकता है या गंभीर रूप से बाधित कर देगा।
भारत पर सीधा असर: क्या पेट्रोल-डीजल हो जाएंगे महंगे?
अगर स्ट्रेट ऑफ होर्मुज को बंद कर दिया जाता है, तो वैश्विक स्तर पर तेल की आपूर्ति बाधित होगी। विशेषज्ञों के अनुसार:
- कच्चे तेल की कीमतों में 30% से 50% तक की बढ़ोतरी संभव है।
- ब्रेंट क्रूड फिलहाल 80 डॉलर प्रति बैरल पर है, जो 150 डॉलर तक भी जा सकता है।
इसका असर भारत पर गंभीर हो सकता है:
- पेट्रोल-डीजल की कीमतें 120 रुपये या उससे ज्यादा प्रति लीटर तक जा सकती हैं।
- ट्रांसपोर्ट खर्च बढ़ेगा, जिससे खाद्य सामग्री, दवाएं और आवश्यक वस्तुएं भी महंगी होंगी।
- महंगाई दर बढ़ेगी, जिससे आम आदमी की जेब पर और बोझ पड़ेगा।
क्या हैं सरकार और कंपनियों के विकल्प?
भारत सरकार के पास इस संकट से निपटने के लिए कुछ विकल्प जरूर हैं, लेकिन वे सीमित हैं:
- रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार (Strategic Petroleum Reserves) से कुछ समय के लिए राहत दी जा सकती है।
- वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं जैसे रूस, अमेरिका या अफ्रीकी देशों से तेल मंगाया जा सकता है, लेकिन ये प्रक्रिया महंगी और समय लेने वाली होती है।
- तेल पर टैक्स में राहत दी जा सकती है, लेकिन इससे सरकारी राजस्व पर असर पड़ेगा।
भारत की ऊर्जा नीति पर एक बड़ी चुनौती
स्ट्रेट ऑफ होर्मुज का संकट भारत के लिए जियो-पॉलिटिकल और आर्थिक दोनों तरह की चुनौती है। एक ओर वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, वहीं दूसरी ओर भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आयात पर भारी निर्भरता है। ऐसे में आने वाले हफ्तों में पेट्रोल-डीजल और महंगाई को लेकर बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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