केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में लंबे समय बाद दुर्लभ प्रजातियों की वापसी, वन्यजीवों की संख्या पर आशाजनक संकेत
रुद्रप्रयाग।
केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के ऊखीमठ रेंज में हाल ही में बर्फ से ढंके हिमखंडों के बीच हिम तेंदुए की मौजूदगी दर्ज की गई है। यह दृश्य ट्रैप कैमरे में कैद हुआ, जिससे वन्यजीव प्रेमियों और संरक्षण अधिकारियों के बीच उत्साह की लहर दौड़ गई है। हिमालयी क्षेत्र में यह दुर्लभ वन्य प्राणी काफी वर्षों बाद दिखाई दिया है। इस अवलोकन को राज्य में वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
वन विभाग के मुताबिक, हिम तेंदुए के अलावा ट्रैप कैमरों में पीले गले वाला नेवला, लाल लोमड़ी और कई दुर्लभ पक्षी प्रजातियां भी नजर आई हैं। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ तरुण एस के नेतृत्व में चल रही इस निगरानी प्रक्रिया से पता चलता है कि क्षेत्र में जैव विविधता लगातार पुनः उभर रही है।

हिम तेंदुए की वापसी: वन्य जीवन में सकारात्मक संकेत
ऊखीमठ रेंज के ऊपरी हिमालयी क्षेत्र में यह हिम तेंदुआ विचरण करते हुए कैमरे में दर्ज हुआ है। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि यह घटना कई वर्षों में पहली बार हुई है, जब इस दुर्लभ प्राणी की स्पष्ट मौजूदगी दर्ज हुई है। यह क्षेत्र वन्य जीवन के लिए सुरक्षित और अनुकूल साबित हो रहा है, जहां कस्तूरी मृग, भूरा भालू, भौंकने वाला हिरण, हिमालयी थार, सांभर, घुरल और तीतर-मोनाल जैसी अनेक प्रजातियों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है।

डीएफओ बोले—’प्राकृतिक संतुलन का पुनर्निर्माण’
डीएफओ तरुण एस ने बताया कि जुलाई के दूसरे सप्ताह तक सभी 200 ट्रैप कैमरों की समीक्षा पूरी कर ली जाएगी। इससे वन्य जीवों की सही संख्या और उनकी गतिविधियों की जानकारी स्पष्ट रूप से मिल सकेगी। उन्होंने कहा, “हिम तेंदुआ जैसे प्राणी का कैमरे में आना, और वह भी अपने कुनबे के साथ विचरण करते हुए, यह दर्शाता है कि हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र पुनर्जीवित हो रहा है। यह प्रकृति और पर्यावरण के लिए एक शुभ संकेत है।”
लगातार गश्त और निगरानी से मिली सफलता
975.20 वर्ग किलोमीटर में फैले केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग में द्वितीय व तृतीय केदार तुंगनाथ सहित कई रमणीय स्थल आते हैं। यहां वन्य जीवों के संरक्षण के लिए प्रभागीय स्तर पर लगातार गश्त की जाती है। साथ ही, पूरे क्षेत्र में 200 से अधिक ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं जो वन्यजीवों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करने में मदद करते हैं।
वन विभाग की यह रणनीति सफल साबित हो रही है, और इससे यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में और भी कई दुर्लभ प्रजातियों की उपस्थिति दर्ज होगी। ट्रैप कैमरों की समीक्षा पूरी होने के बाद विभाग विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगा, जिससे आने वाले समय में संरक्षण नीतियों को और बेहतर ढंग से लागू किया जा सकेगा।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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