अहमदाबाद।
एअर इंडिया के विमान हादसे में शनिवार को 5 और शव मिलने के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 275 हो गई है। दुर्घटनास्थल से अब तक बरामद कुल 248 शवों के डीएनए सैंपल लिए जा चुके हैं, लेकिन सिर्फ 11 शवों की ही अब तक पहचान हो पाई है। हादसे के तीन दिन बाद भी राहत और खोजबीन का काम लगातार जारी है।

तीसरे दिन मिला एअर होस्टेस का शव
शनिवार सुबह विमान के पिछले हिस्से से एक एअर होस्टेस का शव मिला। इसके साथ ही उस हॉस्टल की छत पर मौजूद चार एमबीबीएस छात्रों की भी मौत की पुष्टि हुई है, जिस पर दुर्घटनाग्रस्त विमान गिरा था।
अहमदाबाद सिविल अस्पताल में शवों की पहचान की प्रक्रिया तेज़ कर दी गई है। अस्पताल के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट डॉ. रजनीश पटेल ने बताया कि अब तक 9 शव परिजनों को सौंपे जा चुके हैं—8 शुक्रवार को और 1 शनिवार को।
डीएनए सैंपल से पहचान की कोशिश जारी
गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने बताया कि तीन दिनों से फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स लगातार काम में लगे हुए हैं। डीएनए क्रॉस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया को नेशनल फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी में तेजी से पूरा किया जा रहा है ताकि पीड़ितों की पहचान जल्द से जल्द हो सके।
पायलट का आखिरी संदेश: “थ्रस्ट नहीं मिल रहा…”
हादसे के ठीक पहले पायलट सुमित सभरवाल का एयर ट्रैफिक कंट्रोलर (ATC) को भेजा गया आखिरी मैसेज सामने आया है:
“मेडे, मेडे, मेडे… थ्रस्ट नहीं मिल रहा, पावर कम हो रही है, प्लेन उठ नहीं रहा। नहीं बचेंगे…”
कुछ ही सेकेंड्स बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
जांच रिपोर्ट तीन महीने में
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने बताया कि दुर्घटना की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है, जिसमें मंत्रालय के सचिव, DGCA और BCAS के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि तीन महीने में जांच रिपोर्ट सौंपी जाएगी। साथ ही बोइंग 787 विमानों की तकनीकी निगरानी भी बढ़ा दी गई है। भारत के पास 34 ऐसे विमान हैं, जिनमें से 8 की जांच पहले ही हो चुकी है।
ब्लैक बॉक्स से जुड़े अहम सुराग
विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने बताया कि हादसे के ब्लैक बॉक्स की डिकोडिंग का काम जारी है। इससे यह पता चल सकेगा कि हादसे के ठीक पहले पायलट और विमान में क्या तकनीकी स्थितियां थीं।
LIC ने उठाया मानवीय कदम
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने विमान हादसे में जान गंवाने वाले पॉलिसीधारकों के परिजनों के लिए दावा प्रक्रिया को सरल कर दिया है। अब मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी। यदि सरकारी रिकॉर्ड में मृतक दर्ज है या एयरलाइन या सरकार द्वारा मुआवजा दिया गया है, तो वही प्रमाण माना जाएगा। एलआईसी ने वादा किया है कि वह पीड़ितों के साथ संवेदनशीलता से खड़ा रहेगा और दावों के निपटारे को प्राथमिकता पर निपटाया जाएगा।
अहमदाबाद विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है। राहत कार्य, पहचान की चुनौती और तकनीकी जांच सब एक साथ चल रहे हैं। सरकार, एजेंसियां और संस्थान—सभी मिलकर इस त्रासदी को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन जबतक हर पीड़ित की पहचान नहीं होती, हर परिजन को closure नहीं मिलता, यह प्रक्रिया अधूरी मानी जाएगी।
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