साउथ अफ्रीका ने रच दिया इतिहास। लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर टीम ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) 2025 के फाइनल में डिफेंडिंग चैंपियन ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराकर पहली बार टेस्ट क्रिकेट में विश्व खिताब अपने नाम किया। यह साउथ अफ्रीका का किसी भी फॉर्मेट में पहला वर्ल्ड कप खिताब है। इससे पहले टीम ने 1998 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती थी। इस जीत के साथ ही 27 साल का खिताबी सूखा भी खत्म हुआ।
282 रन का टारगेट, ऐडन मार्करम की शानदार पारी
लंदन के लॉर्ड्स में खेले गए इस फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया ने साउथ अफ्रीका को 282 रन का लक्ष्य दिया था। जवाब में अफ्रीकी टीम ने चौथे दिन लंच से पहले 5 विकेट खोकर यह टारगेट हासिल कर लिया। ओपनर ऐडन मार्करम ने 136 रन की यादगार शतकीय पारी खेली, जबकि कप्तान टेम्बा बावुमा ने 66 रन बनाए।
84वें ओवर में काइल वेरियन ने मिचेल स्टार्क की गेंद पर सिंगल लेकर मैच खत्म किया। उस वक्त वे 4 रन पर और डेविड बेडिंघम 21 रन पर नॉटआउट थे। मार्करम को प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।

साउथ अफ्रीका की वापसी: पहली पारी में पिछड़ने के बाद धमाकेदार प्रदर्शन
मैच की पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया ने 212 रन बनाए थे, जबकि साउथ अफ्रीका सिर्फ 138 रन ही बना सकी थी। इससे कंगारू टीम को 74 रन की बढ़त मिल गई थी। लेकिन दूसरी पारी में ऑस्ट्रेलिया सिर्फ 218 रन ही जोड़ सकी और साउथ अफ्रीका को 282 रन का लक्ष्य मिला, जिसे टीम ने आसानी से पार कर लिया।

जीत के पीछे तीन बड़े कारण
1. मौसम की मेहरबानी: धूप ने बदली खेल की दिशा
पहले दो दिन लंदन का मौसम बादलों और तेज हवा के साथ गेंदबाजों के पक्ष में रहा। तेज स्विंग ने बैटर्स को परेशान किया। लेकिन तीसरे दिन से मौसम खुल गया। तेज धूप के चलते स्विंग खत्म हुई और बल्लेबाजी आसान हो गई। इसी का फायदा साउथ अफ्रीका को मिला, जिसने आखिरी दो दिन बिना ज्यादा परेशानी के रन बटोरे।
2. कप्तान बावुमा को मिला जीवनदान
दूसरी पारी के 20वें ओवर में टेम्बा बावुमा को उस वक्त जीवनदान मिला जब वे सिर्फ 2 रन पर थे। मिचेल स्टार्क की बॉल पर स्लिप में खड़े स्टीव स्मिथ ने उनका कैच छोड़ दिया। तब अफ्रीका का स्कोर 76/2 था। इस मौके को भुनाते हुए बावुमा ने 66 रन जोड़े और मैच की दिशा ही पलट दी।
3. पिच का स्वभाव बदला, गेंदबाज हुए बेअसर
मैच के शुरुआती दो दिन लॉर्ड्स की पिच पर घास का असर था और गेंदबाजों को उछाल और स्विंग मिल रहा था। लेकिन तीसरे दिन के बाद पिच पूरी तरह फ्लैट हो गई। इसका नतीजा ये हुआ कि ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की धार कमजोर पड़ गई और साउथ अफ्रीका के बल्लेबाजों ने बड़े आराम से रन बनाए।

क्रिकेट इतिहास में नया अध्याय
साउथ अफ्रीका के लिए यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि एक भावनात्मक मुकाम है। लंबे समय तक ‘चोकर’ (महत्वपूर्ण मुकाबलों में हारने वाली टीम) का टैग झेलने वाली यह टीम अब टेस्ट की दुनिया की चैंपियन बन गई है। मार्करम की क्लास, बावुमा की कप्तानी और पूरे दल की सूझबूझ ने इस जीत को ऐतिहासिक बना दिया।
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