50 यात्रियों के साथ 15 जत्थे रवाना होंगे, आधुनिक सुविधाओं और सुरक्षा इंतज़ामों के साथ
नई दिल्ली। कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 का बहुप्रतीक्षित शुभारंभ शुक्रवार को हुआ, जब पहले जत्थे को विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह अवसर धार्मिक आस्था के साथ ही भारत-चीन सांस्कृतिक संबंधों की पुनर्स्थापना का प्रतीक बना। मंत्री ने यात्रियों को उनके चयन पर बधाई दी और सुखद, सुरक्षित एवं आध्यात्मिक रूप से समृद्ध यात्रा की शुभकामनाएं दीं।
जवाहरलाल नेहरू भवन में आयोजित इस समारोह में मंत्री ने रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP), दिल्ली, उत्तराखंड और सिक्किम सरकारों समेत राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के योगदान की सराहना की। उन्होंने यह भी बताया कि यात्रा को फिर से आरंभ करने में चीनी पक्ष के सहयोग के लिए भारत आभारी है।
🚩 धार्मिक और कूटनीतिक महत्व से जुड़ी यह यात्रा
कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील, हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के श्रद्धालुओं के लिए सर्वोच्च तीर्थस्थल हैं। इस यात्रा को लेकर न सिर्फ धार्मिक, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी संवेदनशीलता रहती है। यही कारण है कि यात्रा के लिए प्रशासनिक, सैन्य और तकनीकी स्तर पर बेहद गहन तैयारी की जाती है।

🧭 दो प्रमुख मार्ग, 15 जत्थे और आधुनिक मोटरेबल सुविधाएं
इस वर्ष यात्रा को दो मार्गों से संचालित किया जा रहा है:
- उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रे से 5 जत्थे
- सिक्किम के नाथू ला दर्रे से 10 जत्थे
👉 प्रत्येक जत्थे में 50 यात्री होंगे, यानी कुल 750 यात्री इस पावन यात्रा में सम्मिलित होंगे।
👉 हर जत्थे के साथ 2 दल नेता होंगे, जो पूरे मार्ग में मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करेंगे।
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि दोनों मार्ग अब पूरी तरह मोटरेबल हो चुके हैं। यानी यात्रियों को अब पहले की तरह अत्यधिक पैदल यात्रा नहीं करनी पड़ेगी, जिससे वरिष्ठ नागरिकों और स्वास्थ्य संबंधी चुनौती वाले यात्रियों के लिए यह यात्रा और भी सुलभ हो गई है।
📊 5500 से अधिक आवेदन, सिर्फ 750 का चयन
इस बार यात्रा के लिए 5561 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें
- 4024 पुरुष और
- 1537 महिलाएं शामिल थीं।
इनमें से कड़े चयन मानकों और स्वास्थ्य परीक्षणों के आधार पर केवल 750 यात्रियों को यात्रा के लिए चुना गया है। चयन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन पंजीकरण और लॉटरी प्रणाली पर आधारित रही।
🛡️ सुरक्षा, स्वास्थ्य और संचार के पुख्ता इंतज़ाम
सरकार ने यात्रा को सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं:
- हाई एल्टीट्यूड मेडिकल सपोर्ट टीमें
- सैटेलाइट फोन और आपातकालीन रेडियो कनेक्टिविटी
- प्रशिक्षित दल नेता और गाइड्स
- आधुनिक मोटरेबल सड़कें और राहत शिविर
इस बार यात्रियों को ऊंचाई के अनुकूल बनाने के लिए मार्ग में रुक-रुककर चढ़ाई कराने का इंतज़ाम भी किया गया है।
✨ आध्यात्मिकता और आत्म-खोज की यह यात्रा
कैलाश मानसरोवर यात्रा सिर्फ एक तीर्थ नहीं, बल्कि आत्मा से संवाद करने, प्रकृति के विराट स्वरूप को नमन करने और जीवन के गहरे प्रश्नों का उत्तर पाने का अनुभव है।
जहां कैलाश पर्वत शिव का धाम माना जाता है, वहीं मानसरोवर झील शांति, ऊर्जा और दिव्यता का प्रतीक है।
2025 की यह यात्रा न सिर्फ भौतिक रास्तों से होकर गुजरेगी, बल्कि आत्मिक और आध्यात्मिक विकास का मार्ग भी प्रशस्त करेगी।
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