आज शाम होगा एक्सिओम-4 मिशन का प्रक्षेपण, तीन देशों के अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतरिक्ष की उड़ान
नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज एक ऐतिहासिक उपलब्धि की ओर कदम बढ़ाने जा रहे हैं। वह एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा पर रवाना होंगे और ऐसा करने वाले 1984 के बाद पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनेंगे। इस ऐतिहासिक उड़ान के साथ भारत 41 साल बाद फिर से अंतरिक्ष में मानव मिशन का हिस्सा बनने जा रहा है।
मंगलवार शाम 5:30 बजे होगा प्रक्षेपण
इसरो और नासा के सहयोग से एक्सिओम स्पेस द्वारा संचालित यह मिशन मंगलवार, 11 जून को शाम 5:30 बजे प्रक्षेपित किया जाएगा। पहले यह मिशन सोमवार को प्रस्तावित था, लेकिन प्रतिकूल मौसम के चलते इसे एक दिन के लिए टाल दिया गया।
तीन देशों के अंतरिक्ष यात्रियों का मिशन
एक्स-4 मिशन में भारत के शुभांशु शुक्ला के साथ पोलैंड के स्लावोज उज़्नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू अंतरिक्ष यात्रा करेंगे। यह तीनों देशों के लिए ISS की पहली उड़ान होगी। इस मिशन की कमान प्रसिद्ध अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन संभालेंगी।
शुभकामनाओं की बौछार
भारत के एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने शुभांशु को इस ऐतिहासिक उड़ान के लिए शुभकामनाएं दीं। ISRO अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि यह मिशन भारत और अमेरिका के अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
31 देशों के 60 वैज्ञानिकों की भागीदारी
इस मिशन में भारत, अमेरिका, पोलैंड, हंगरी, सऊदी अरब, ब्राज़ील, यूएई और नाइजीरिया सहित 31 देशों के करीब 60 वैज्ञानिक शामिल हैं। यह मिशन मानव स्वास्थ्य, पृथ्वी अवलोकन, जैविक और भौतिक विज्ञान जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान को बढ़ावा देगा।
शुभांशु बोले— “यह यात्रा हमसे बड़ी है”
शुभांशु शुक्ला ने अपने भावुक संदेश में कहा—
“मैं जिस टीम के साथ इस मिशन पर उड़ान भर रहा हूं, वह शानदार है। यह एक अद्भुत यात्रा है। ये वो पल हैं जो बताते हैं कि आप किसी बड़ी चीज़ का हिस्सा बन रहे हैं। मैं अपने मिशन से एक पूरी पीढ़ी को प्रेरित करने की ईमानदार कोशिश कर रहा हूं। अगर मेरी कहानी किसी की ज़िंदगी बदल सके, तो वही मेरी सबसे बड़ी सफलता होगी।”
भारत के लिए दूसरी ऐतिहासिक उड़ान
1984 में राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के सोयुज टी-11 मिशन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। अब 41 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद शुभांशु इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए दूसरे सरकारी प्रायोजित भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनेंगे।
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