नई दिल्ली।
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को लेकर उठ रहे सवालों के बीच केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दावा किया है कि देश में एफडीआई में किसी प्रकार की गिरावट नहीं आई है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में होने वाले उतार-चढ़ाव से कुछ अस्थायी बदलाव हो सकते हैं, लेकिन भारत की निवेश क्षमता लगातार मज़बूत हो रही है।
पिछले 11 वर्षों में 748 अरब डॉलर का निवेश
मंत्री ने बताया कि पिछले 11 वित्तीय वर्षों (2014 से 2025) के दौरान भारत ने 748.78 अरब डॉलर का एफडीआई आकर्षित किया है। यह निवेश उस अवधि के मुकाबले लगभग ढाई गुना ज्यादा है, जब 2003 से 2014 तक केवल 308.38 अरब डॉलर का निवेश आया था। इस तुलना के ज़रिए सरकार यह दर्शाना चाहती है कि भारत की छवि वैश्विक निवेश बाजार में पहले से कहीं अधिक बेहतर हुई है।

112 देशों से निवेश, पहले थे सिर्फ 89
पीयूष गोयल ने बताया कि अब भारत में 112 अलग-अलग देशों से निवेश आ रहा है, जबकि 2013-14 में यह संख्या 89 देशों तक सीमित थी। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत अब एक भरोसेमंद और वैश्विक निवेश केंद्र के रूप में उभरा है। मंत्री के मुताबिक, यह उपलब्धि भारत की स्थिर आर्थिक नीतियों, व्यापक बाजार और सुधारवादी दृष्टिकोण का नतीजा है।
2024-25 में मिला 81 अरब डॉलर, तीन वर्षों में सबसे अधिक
मंत्री गोयल ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत को 81 अरब डॉलर का एफडीआई प्राप्त हुआ, जो कि पिछले तीन वर्षों में सबसे अधिक है। उन्होंने इस आंकड़े को भारत की आर्थिक स्थिरता और निवेशकों के बढ़ते विश्वास का प्रमाण बताया। मंत्री ने यह भी कहा कि भारत अब फिर से एफडीआई के क्षेत्र में तेज़ी की राह पर लौट आया है।
2021-22 में सबसे अधिक निवेश, तिमाही गिरावट पर सफाई
अगर बीते वर्षों पर नजर डालें तो 2021-22 में एफडीआई का आंकड़ा 84.83 अरब डॉलर तक पहुंचा था, जो अब तक का सर्वाधिक है। हालांकि 2024-25 की चौथी तिमाही में यह घटकर 9.34 अरब डॉलर पर आ गया। इसमें वार्षिक आधार पर करीब 24.5% की गिरावट देखी गई। लेकिन पूरे साल के आंकड़े देखें तो एफडीआई में 13% की वृद्धि दर्ज की गई है और यह 50 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
वैश्विक परिस्थिति का असर, लेकिन भारत में पैसा लौट रहा
मंत्री ने बताया कि एफडीआई के उतार-चढ़ाव का सीधा संबंध वैश्विक बॉन्ड यील्ड और ब्याज दरों से होता है। यदि किसी देश में रिटर्न अधिक होता है तो पूंजी वहां जाती है। बावजूद इसके, भारत में विदेशी पूंजी फिर से लौट रही है, जो स्पष्ट रूप से देश की सकारात्मक छवि को दर्शाता है।
सरकार सुझावों के लिए तैयार
पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार निवेशकों की राय को महत्व देती है और उनकी आवश्यकताओं के अनुसार नीतियों में बदलाव के लिए हमेशा तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत में निवेश का माहौल लगातार बेहतर हो रहा है और सरकार इस दिशा में हर जरूरी कदम उठाएगी।
विदेश दौरों से निवेश बढ़ाने की कोशिश
इस वक्त वाणिज्य मंत्री स्विट्जरलैंड और स्वीडन की आधिकारिक यात्रा पर हैं। इस दौरान वे भारत में निवेश बढ़ाने को लेकर उच्च स्तरीय अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। उनकी कोशिश है कि भारत और इन देशों के बीच तकनीकी और औद्योगिक साझेदारी को नया विस्तार मिले।
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