- 33 देशों का दौरा कर लौटे सांसदों से शाम 7 बजे पीएम निवास पर होगी बैठक
नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत द्वारा आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर चलाए गए व्यापक अभियान को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से शाम 7 बजे मुलाकात करेंगे। यह अहम बैठक प्रधानमंत्री निवास 7 लोक कल्याण मार्ग पर होगी, जिसमें 30 से ज्यादा देशों की यात्रा करके लौटे प्रतिनिधि अपने अनुभव, चर्चाएं और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया साझा करेंगे।
विदेशों से लौटे प्रतिनिधिमंडलों से संवाद
विदेश यात्रा पर गए इन सात प्रतिनिधिमंडलों में सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्षी दलों के सांसद, पूर्व मंत्री, राजनयिक और पूर्व सांसद शामिल थे। इनका मकसद था – दुनियाभर में भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को मजबूती से प्रस्तुत करना और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी नेटवर्क्स के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाना। सूत्रों के मुताबिक, प्रतिनिधिमंडलों में शामिल सांसदों में कांग्रेस के शशि थरूर, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी और गुलाम नबी आज़ाद जैसे नाम प्रमुख हैं। प्रतिनिधियों ने यूरोपीय संघ समेत 33 विदेशी राजधानियों का दौरा किया और आतंकवाद के मुद्दे पर भारत की ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ को दुनिया के सामने रखा।
विदेश मंत्री जयशंकर पहले ही कर चुके हैं मुलाकात
इससे पहले, विदेश मंत्री एस जयशंकर प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने मिशन की सफलता की सराहना करते हुए कहा था कि यह पहल भारत की कूटनीतिक ताकत और राष्ट्रीय एकता का परिचायक है। जयशंकर ने यह भी रेखांकित किया कि विपक्ष और सत्ता पक्ष के नेताओं का मिलकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय हितों की वकालत करना, एक नई राजनीतिक परंपरा की शुरुआत है।
विपक्षी नेताओं की भागीदारी रही अहम
सरकार द्वारा भेजे गए इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य सिर्फ कूटनीतिक प्रचार नहीं था, बल्कि यह दिखाना भी था कि आतंकवाद के खिलाफ भारत एकजुट है। इसलिए प्रतिनिधिमंडल में सत्ताधारी भाजपा के अलावा कांग्रेस, द्रमुक, एआईएमआईएम, एनसीपी, और तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। इससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बात ज्यादा मजबूती और एकता के साथ रखी जा सकी।
पीएम मोदी लेंगे फीडबैक, देंगे आगामी रणनीति के संकेत
आज की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी इन प्रतिनिधियों से फीडबैक लेंगे, और संभवतः यह भी संकेत देंगे कि आतंकवाद विरोधी वैश्विक अभियान को किस रूप में आगे बढ़ाया जाए। माना जा रहा है कि पीएम मोदी इस संवाद के जरिए देश की विदेश नीति को और अधिक समावेशी और प्रभावशाली बनाने की दिशा में एक नया कदम उठाएंगे।