पेरिस।
फ्रेंच ओपन 2025 से नोवाक जोकोविच की विदाई ने टेनिस प्रेमियों को चौंका दिया है। 24 बार के ग्रैंड स्लैम विजेता और मौजूदा चैंपियन जोकोविच को सेमीफाइनल में इटली के जैनिक सिनर ने सीधे सेटों में हरा दिया। मैच स्कोर रहा – 6-4, 7-5, 7-6 (3)। करीब 3 घंटे 16 मिनट तक चले इस मुकाबले में सिनर ने बेहतरीन संतुलन, ताकत और रणनीति का प्रदर्शन करते हुए जोकोविच को वापसी का कोई मौका नहीं दिया।
25वां ग्रैंड स्लैम खिताब जीतने का सपना अधूरा
38 वर्षीय जोकोविच 25वें ग्रैंड स्लैम खिताब की तलाश में इस साल रोलां गैरोस आए थे। लेकिन सेमीफाइनल में हार के साथ उनका ये सपना एक बार फिर अधूरा रह गया। यह भी दिलचस्प रहा कि फ्रेंच ओपन में यह जोकोविच की 100वीं जीत के बाद की हार थी। उन्होंने क्वार्टर फाइनल में ब्रिटेन के कैमरून नोरी को हराकर यह उपलब्धि हासिल की थी, और राफेल नडाल के बाद ऐसा करने वाले दूसरे खिलाड़ी बने थे।

फाइनल में अब अल्काराज बनाम सिनर की टक्कर
अब सभी की निगाहें रविवार, 8 जून को होने वाले फाइनल पर टिक गई हैं, जहां वर्ल्ड नंबर-1 सिनर का मुकाबला वर्ल्ड नंबर-2 स्पेन के कार्लोस अल्काराज से होगा। अल्काराज ने सेमीफाइनल में इटली के लोरेंजो मुसेट्टी को हराने की ओर बढ़ रहे थे, लेकिन मुकाबले के दौरान मुसेट्टी ने बीच में ही मैच छोड़ दिया। उस समय स्कोर था – 4-6, 7-6 (3), 6-0, 2-0 – अल्काराज के पक्ष में।

जोकोविच की महानता का एक और अध्याय
भले ही जोकोविच इस साल का फ्रेंच ओपन नहीं जीत पाए, लेकिन उनका करियर अपने आप में एक मिसाल है।
- 10 ऑस्ट्रेलियन ओपन
- 3 फ्रेंच ओपन
- 7 विंबलडन
- 4 यूएस ओपन
इसके साथ ही वे सबसे ज्यादा हफ्तों तक वर्ल्ड नंबर-1 रहने वाले खिलाड़ी भी हैं।
फ्रेंच ओपन और नडाल की विरासत
फ्रेंच ओपन को क्ले कोर्ट का राजा कहा जाता है और इस टूर्नामेंट की पहचान एक नाम से सबसे ज्यादा जुड़ी हुई है – राफेल नडाल। नडाल ने 14 बार फ्रेंच ओपन का खिताब जीता है, जो किसी भी एक ग्रैंड स्लैम में सर्वाधिक है। उन्होंने अब तक 18 बार इस टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और 112 मैच जीते, जबकि सिर्फ 4 बार हारे हैं – यह मेंस और विमेंस दोनों वर्गों में एक विश्व रिकॉर्ड है।
फ्रेंच ओपन: क्ले कोर्ट का इम्तिहान
फ्रेंच ओपन, जिसे रोलां गैरोस भी कहते हैं, साल का दूसरा ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट होता है। यह पेरिस में खेला जाता है और क्ले कोर्ट पर होने के कारण इसे शारीरिक और मानसिक क्षमता की सबसे कठिन परीक्षा माना जाता है। यही कारण है कि यहां जीतने वाले खिलाड़ी को एक अलग ही दर्जा हासिल होता है।
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