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July 30, 2025 8:41 PM

भारत में जल्द शुरू हो सकती है स्टारलिंक की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा, स्पेक्ट्रम मंज़ूरी का इंतज़ार बाकी

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भारत में अब एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक (Starlink) को सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं देने की औपचारिक अनुमति मिल गई है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने कंपनी को आवश्यक ग्लोबल मोबाइल पर्सनल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस जारी कर दिया है। इससे स्टारलिंक अब भारत में उच्च गति की ब्रॉडबैंड सेवाएं देने के लिए एक कदम और नजदीक पहुंच गई है, खासकर उन ग्रामीण और दुर्गम इलाकों में जहां पारंपरिक कनेक्टिविटी आज भी एक सपना बनी हुई है।

हालांकि, अभी स्पेक्ट्रम आवंटन की मंज़ूरी लंबित है, जो इस सेवा की शुरुआत में अंतिम और महत्वपूर्ण कड़ी है।


TRAI ने दी सैटकॉम स्पेक्ट्रम को लेकर नई सिफारिशें

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने सरकार को सुझाव दिया है कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन (SatComm) सेवाएं देने वाली कंपनियों को प्रशासनिक आधार पर स्पेक्ट्रम आवंटित किया जाए, न कि नीलामी के माध्यम से। TRAI का मानना है कि यह कदम नवाचार को बढ़ावा देगा और भारत के ग्रामीण इलाकों तक इंटरनेट की पहुंच को सुगम बनाएगा।

इसके साथ ही TRAI ने यह भी सिफारिश की है कि SatComm कंपनियों से एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) का 4% शुल्क वसूला जाए। हालांकि, अभी तक दूरसंचार विभाग ने इन सिफारिशों को स्वीकृति नहीं दी है, जिस कारण स्टारलिंक को स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया के लिए थोड़ा और इंतज़ार करना पड़ेगा


क्या बोले केंद्रीय मंत्री सिंधिया?

हाल ही में केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्टारलिंक को लाइसेंस देने की पुष्टि करते हुए कहा था,

सैटेलाइट कनेक्टिविटी भारत के टेलीकॉम गुलदस्ते में एक और फूल की तरह है। हमारे पास मोबाइल नेटवर्क और ऑप्टिकल फाइबर दोनों मौजूद हैं, लेकिन सैटेलाइट इंटरनेट उन इलाकों के लिए बेहद जरूरी है, जहां ये दोनों तकनीकें नहीं पहुंच सकतीं।

उन्होंने यह भी बताया कि भारत सरकार तीन कंपनियों को SatComm लाइसेंस जारी कर रही है।

  • पहला लाइसेंस OneWeb को दिया गया
  • दूसरा रिलायंस जियो को
  • और अब तीसरा लाइसेंस Starlink को जारी किया गया है।

मंत्री ने यह भी संकेत दिया कि जल्द ही सरकार स्पेक्ट्रम आवंटन करेगी, जिसके बाद यह सेवा भारत में औपचारिक रूप से शुरू हो सकेगी।


क्या होगा स्टारलिंक के आने से लाभ?

स्टारलिंक की सबसे बड़ी खासियत है इसकी लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट तकनीक, जिससे यह तेज़, स्थिर और व्यापक कवरेज देने में सक्षम है। पारंपरिक फाइबर ऑप्टिक या टॉवर आधारित कनेक्टिविटी के मुकाबले इसकी पहुंच काफी अधिक है। भारत में इसका सीधा लाभ उन क्षेत्रों को मिलेगा:

  • जहां मोबाइल नेटवर्क कमजोर है
  • जो हिमालय, घने जंगलों या रेगिस्तानी इलाकों में स्थित हैं
  • जहां बाढ़ या प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थितियों में कनेक्टिविटी टूट जाती है

स्टारलिंक ग्रामीण स्कूलों, अस्पतालों और सरकारी सेवाओं की डिजिटल पहुंच बढ़ाने में भी सहायक बन सकती है।


आगे की राह

हालांकि लाइसेंस मिलना एक बड़ा कदम है, लेकिन जब तक स्पेक्ट्रम आवंटन पर सरकार अंतिम मुहर नहीं लगाती, तब तक स्टारलिंक अपनी सेवा शुरू नहीं कर सकेगी। TRAI की सिफारिशें यदि जल्द स्वीकार ली जाती हैं, तो अगले कुछ महीनों में भारत के कई दुर्गम क्षेत्रों में स्टारलिंक की हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा का सपना साकार हो सकता है।


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