पाकिस्तान को एक और झटका, ऑपरेशन सिंदूर पर बयान वापस लिया
भारत की सक्रिय और तथ्य आधारित कूटनीति ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी ताकत का लोहा मनवाया है। शुक्रवार, 30 मई को कोलंबिया ने ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में पाकिस्तान के पक्ष में दिए गए विवादित बयान को वापस ले लिया। यह घटनाक्रम तब हुआ जब वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने कोलंबिया के अधिकारियों से मुलाकात कर भारत की स्थिति को स्पष्ट किया।
पहलगाम हमले पर चुप्पी, पाकिस्तान पर संवेदना – थरूर ने जताई कड़ी आपत्ति
कोलंबिया ने जहां जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदुओं की हत्या पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, वहीं पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए नुकसान पर संवेदना व्यक्त कर दी थी। इस पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण पर भारत ने गहरी आपत्ति जताई। शशि थरूर ने बोगोटा पहुँचते ही कोलंबियाई उप-विदेश मंत्री रोसा योलांडा विलाविसेनियो से इस पर कड़ी बातचीत की और भारत का पक्ष रखा।
आतंकवाद और आत्मरक्षा का स्पष्ट अंतर
प्रतिनिधिमंडल, जिसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों के सांसद शामिल थे, ने कोलंबिया के अधिकारियों के सामने ठोस तथ्य और साक्ष्य प्रस्तुत किए। इसमें उन तस्वीरों को भी शामिल किया गया जिनमें पाकिस्तानी सेना के अधिकारी मारे गए आतंकियों के अंतिम संस्कार में शामिल थे। थरूर ने दो टूक कहा—“यह आत्मरक्षा है, न कि आक्रामकता। आतंकियों और उनके विरोधियों की तुलना नहीं की जा सकती।”
बयान वापसी और समर्थन की घोषणा
इस विस्तारपूर्वक संवाद के बाद कोलंबिया ने अपना भारत-विरोधी बयान वापस ले लिया और भारत के दृष्टिकोण का समर्थन करते हुए एक सकारात्मक संदेश जारी किया। कोलंबिया की उप-मंत्री ने भी माना कि भारत के स्पष्ट विवरणों से अब उन्हें सटीक स्थिति की समझ हो रही है।

भारत की कूटनीतिक ताकत और पाकिस्तान की अलग-थलग स्थिति
भाजपा नेता और पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि कोलंबिया का यह कदम आतंकवाद के प्रति भारत के कठोर रुख की स्वीकार्यता है। वहीं, सांसद शशांक मणि ने कोलंबिया के अपने अतीत के अनुभवों की ओर इशारा करते हुए कहा कि वह भारत की संवेदनाओं को बेहतर समझ सकता है।
गौरतलब है कि कोलंबिया जल्द ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सदस्य बनने जा रहा है। ऐसे में उसका रुख भारत के पक्ष में आना, पाकिस्तान की कूटनीतिक हार और भारत की सफलता के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल अब ब्राजील और अमेरिका के दौरे पर रवाना होगा, जहाँ वे इसी रणनीति के तहत भारत का पक्ष आगे रखेंगे।
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