भारत सरकार ने देश के कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने के उद्देश्य से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ की शुरुआत की है। इस अभियान का औपचारिक शुभारंभ 29 मई 2025 को ओडिशा के पुरी से हुआ, जहां केंद्रीय कृषि मंत्री अरुण सिंह चौहान ने इसे लॉन्च किया। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से किसानों को संबोधित करते हुए कृषि के भविष्य और इस अभियान के महत्व पर गहरी बात रखी।
क्यों जरूरी था यह अभियान?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का कृषि क्षेत्र सिर्फ अन्न उत्पादन तक सीमित नहीं रह सकता। वैश्विक बाजारों और बदलती उपभोक्ता प्राथमिकताओं के अनुसार हमें कृषि को वैज्ञानिक, आधुनिक और टिकाऊ बनाना होगा। उन्होंने कहा कि आज भी देश के कई किसानों को यह नहीं पता कि देश के कृषि वैज्ञानिकों ने किस तरह की नई तकनीकों, फसलों और उर्वरकों पर शोध किए हैं। ये सारी जानकारी अब किसानों के खेतों तक पहुंचाई जाएगी।

पीएम मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा,
“अब मार्केट बदल रहे हैं, ग्राहकों की सोच बदल रही है। इसीलिए कृषि भी बदलनी चाहिए। हमें किसानों को सिर्फ बीज और उर्वरक देने की बजाय उन्हें यह भी बताना है कि नई तकनीक कैसे उनकी आमदनी बढ़ा सकती है।“
उन्होंने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य ‘लैब टू लैंड’ यानी प्रयोगशालाओं की रिसर्च को सीधे खेतों में लागू करना है। यह अभियान कृषि वैज्ञानिकों, प्रगतिशील किसानों और सरकार के बीच एक मजबूत पुल का काम करेगा।

क्या है ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’?
यह एक राष्ट्रव्यापी जन-जागरूकता और क्रियान्वयन कार्यक्रम है जो 29 मई से 12 जून 2025 तक चलेगा। इस दौरान केंद्र सरकार की 2170 टीमें देशभर के 700 से अधिक जिलों, 65,000 गांवों और करीब 1.5 करोड़ किसानों तक पहुंचेंगी।
प्रत्येक टीम स्थानीय वैज्ञानिकों, कृषि अधिकारियों और अनुभवी किसानों के साथ मिलकर खेतों में जाकर प्रशिक्षण देगी, संवाद करेगी और किसानों को कृषि से जुड़ी नई तकनीकों, फसल विविधीकरण, जैविक खेती, ड्रिप सिंचाई, और स्मार्ट कृषि उपकरणों की जानकारी देगी।
अभियान की शुरुआत ओडिशा से क्यों?
ओडिशा के पुरी जिले को चुना जाना सांकेतिक महत्व रखता है। यह राज्य जहां एक ओर प्राकृतिक आपदाओं से जूझता है, वहीं दूसरी ओर यहां कृषि की अनंत संभावनाएं हैं। यहां से अभियान की शुरुआत कर यह संदेश दिया गया है कि भारत के हर कोने में कृषि परिवर्तन की जरूरत है, चाहे वह समृद्ध क्षेत्र हो या संघर्षरत।

20 राज्यों का दौरा करेंगे कृषि मंत्री
केंद्रीय कृषि मंत्री अरुण सिंह चौहान इस अभियान के तहत 20 राज्यों का दौरा करेंगे। इन राज्यों में जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड, असम, मेघालय, कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।
वे किसानों से सीधा संवाद करेंगे, उन्हें प्रोत्साहित करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि अभियान की बातें कागज़ तक सीमित न रह जाएं, बल्कि व्यवहारिक रूप से खेतों में उतरे।
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अभियान से क्या लाभ होंगे?
- किसानों को वैज्ञानिक तकनीकों का सीधा लाभ मिलेगा।
- फसल उत्पादन और गुणवत्ता में सुधार होगा।
- खेती की लागत घटेगी और लाभ बढ़ेगा।
- युवा किसानों को तकनीक आधारित कृषि के लिए प्रेरित किया जाएगा।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने वाली सतत खेती को बढ़ावा मिलेगा।
भविष्य की राह
यह अभियान महज दो हफ्ते का नहीं है, बल्कि यह एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर यह भी संकेत दिया कि आने वाले समय में डिजिटल एग्रीकल्चर प्लेटफॉर्म्स, AI आधारित फसल सलाह, और ग्रीन हाउस गैसों को कम करने वाली खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
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