सोनी सब के चर्चित पौराणिक धारावाहिक ‘वीर हनुमान’ में अब कथा एक बेहद निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। बाल रूप में भगवान हनुमान की दिव्य यात्रा को दर्शाते इस शो में हाल ही में दर्शकों ने देखा कि हनुमान ने अग्निदेव के पुत्र नील को संकट से बचाकर अपनी वीरता साबित की। मगर जैसे ही वे लौटते हैं, किष्किंधा पर शनि देव की कड़ी दृष्टि का असर शुरू हो जाता है। राज्य में अचानक अफरा-तफरी मच जाती है। एक पवित्र ग्रंथ की चोरी हो जाती है और इस अपराध का आरोप गलत तरीके से केसरी पर मढ़ दिया जाता है। यही नहीं, इसी उथल-पुथल का फायदा उठाकर राक्षस किष्किंधा पर हमला बोलते हैं, लेकिन इस बार बाली भूमि की रक्षा से मना कर देता है। ऐसे समय में, बाल हनुमान एक असाधारण संकल्प लेते हैं—

जब तक वह पवित्र ग्रंथ वापस नहीं लाते और अपने पिता केसरी पर लगे झूठे आरोपों को नहीं मिटा देते, तब तक लौटेंगे नहीं। इसी संघर्ष और न्याय की तलाश में हनुमान को वह सच्चाई पता चलती है जो सभी को चौंका देती है—जिसे वे एक साधु समझ रहे थे, वह वास्तव में स्वयं शनि देव हैं। हनुमान की इस टक्कर को लेकर दर्शकों में गहरी उत्सुकता है। केसरी की भूमिका निभा रहे अभिनेता आरव चौधरी ने इस भावनात्मक मोड़ पर कहा, “यह कहानी एक बेटे की अपने पिता के सम्मान के लिए संघर्ष की है। एक क्षण ऐसा आता है जब पुत्र, ईश्वर के रूप में भी, पारिवारिक प्रेम और न्याय के लिए हर बाधा पार करता है।” ‘वीर हनुमान’ में जहां एक ओर पौराणिक कथाओं का आकर्षण है, वहीं दूसरी ओर पारिवारिक मूल्यों, न्याय और वीरता को आधुनिक संवेदनाओं के साथ प्रस्तुत किया गया है। दर्शकों को अब इस बात का बेसब्री से इंतजार है कि क्या हनुमान शनि देव से पार पा सकेंगे और अपने पिता का मान बहाल कर सकेंगे।