- दोनों विदेश मंत्री में आर्थिक सहयोग पर हुई बात।
- ट्रुडो ने अपने राजनीतिक हितों के लिए भारत के साथ खराब किए थे रिश्ते
नई दिल्ली। लगभग दो वर्षों तक तनाव और अविश्वास के साए में रहे भारत-कनाडा संबंध अब एक बार फिर पटरी पर लौटते नजर आ रहे हैं। हाल ही में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और कनाडा की नई विदेश मंत्री अनीता आनंद के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत को दोनों देशों के लिए सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। इस बातचीत ने न सिर्फ रिश्तों में आई ठंडक को कुछ गर्माहट दी है, बल्कि भविष्य में आर्थिक सहयोग और मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की संभावना को भी फिर से जीवित किया है।
जयशंकर ने जताई उम्मीद, अनीता ने दिया सहयोग का भरोसा
टेलीफोनिक वार्ता के बाद जयशंकर ने सोशल मीडिया पर लिखा, “कनाडा की विदेश मंत्री से हुई बातचीत की मैं प्रशंसा करता हूं। हमने भारत-कनाडा संबंधों की भावी संभावनाओं पर चर्चा की। मैं उनके सफल कार्यकाल की कामना करता हूं।” उनके इस वक्तव्य से यह स्पष्ट है कि भारत कनाडा के साथ संबंध सुधारने को तैयार है, बशर्ते नई कनाडाई सरकार अपने रुख में बदलाव लाए। वहीं अनीता आनंद ने भी आर्थिक सहयोग की वकालत करते हुए बातचीत को सकारात्मक बताया। उन्होंने FTA सहित अन्य द्विपक्षीय मुद्दों पर सहयोग की इच्छा जताई है, जो संकेत देता है कि नई कनाडाई सरकार भारत के साथ रिश्तों को प्राथमिकता देने को तैयार है।
ट्रुडो युग की तल्खियों से निकलने की कोशिश
कनाडा में हाल ही में हुए आम चुनावों में जस्टिन ट्रुडो की सरकार की विदाई और मार्क कार्ने के नेतृत्व में नई सरकार का गठन हुआ है। खास बात यह है कि नई सरकार के किसी भी मंत्री ने अब तक भारत विरोधी कोई बयान नहीं दिया है। यह ट्रुडो काल की तुलना में एक बड़ा बदलाव है, जब भारत और कनाडा के संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए थे। 2023 में ट्रुडो ने भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में संलिप्तता का आरोप लगाया था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों में बड़ी दरार आ गई थी। कनाडा ने भारतीय एजेंसियों पर बिना सबूत आरोप लगाए, उच्चायुक्तों की संख्या घटा दी गई, और वीजा सेवाएं प्रभावित हुईं। भारत ने इन कदमों को पूरी तरह से अस्वीकार्य बताया था।
अमेरिका-कनाडा तनाव से भारत को मिला अवसर
इस दौरान अमेरिका में ट्रंप की वापसी के बाद कनाडा को वहां से भी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप द्वारा कनाडा को “अमेरिका का 51वां राज्य” कहे जाने जैसी टिप्पणी ने कनाडा को झकझोर दिया है। अमेरिका से बढ़ती दूरी और वैश्विक मंच पर सहयोग की ज़रूरत ने कनाडा को भारत के साथ रिश्ते सुधारने के लिए मजबूर किया है।
एफटीए फिर से चर्चा में?
एक समय था जब भारत और कनाडा मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की ओर बढ़ रहे थे। लेकिन ट्रुडो सरकार की अड़चनों ने इस प्रक्रिया को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। अब जब नई सरकार आर्थिक सहयोग की बात कर रही है, तो उम्मीद की जा रही है कि FTA पर रुकी हुई बातचीत फिर से शुरू हो सकती है।