June 8, 2025 4:26 AM

मोहन भागवत का बड़ा बयान: भारत को बनना ही होगा शक्तिशाली, नहीं है कोई और विकल्प

mohan-bhagwat-on-powerful-india-hindu-unity

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भारत और हिंदू समाज को लेकर एक मजबूत और सशक्त संदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत के पास अब शक्तिशाली बनने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। देश की सीमाओं पर लगातार बढ़ रही बुरी ताकतों की गतिविधियों का हवाला देते हुए उन्होंने यह अपील की कि हिंदू समाज को एकजुट होकर भारतीय सेना और समाज को इतना मजबूत बनाना होगा कि यदि सारी ताकतें भी एक साथ खड़ी हो जाएं, तब भी उन्हें पराजित न किया जा सके।

धर्म और शक्ति का संतुलन ही भारत की पहचान: भागवत

RSS प्रमुख ने यह बात संघ की साप्ताहिक पत्रिका ऑर्गनाइज़र को दिए गए एक विस्तृत इंटरव्यू में कही। यह इंटरव्यू दो महीने पहले बेंगलुरु में आयोजित संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के बाद रिकॉर्ड किया गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि “शक्ति का उपयोग धर्म के साथ होना चाहिए। शक्ति का उद्देश्य होना चाहिए- सज्जनों की रक्षा और दुष्टों का विनाश। यही भारतीय परंपरा है।”

भागवत ने आगे कहा कि कृषि, उद्योग और विज्ञान की क्रांतियाँ अब अपने चरम पर पहुँच चुकी हैं, अब दुनिया को एक ‘धार्मिक क्रांति’ की ज़रूरत है और उसका नेतृत्व केवल भारत कर सकता है।

हिंदू अगर मज़बूत होगा, तो दुनिया मानेगी उसकी बात

मोहन भागवत ने हिंदू समाज की स्थिति पर गहराई से बात करते हुए कहा कि “दुनिया हिंदुओं की तब ही परवाह करेगी जब हिंदू खुद मज़बूत होंगे।” उन्होंने कहा कि एक मज़बूत हिंदू समाज उन लोगों को भी साथ लेकर चल सकता है, जो आज खुद को हिंदू नहीं मानते, क्योंकि उनकी जड़ें भी इसी संस्कृति में हैं।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर उन्होंने कहा कि पहली बार वहाँ के हिंदू खुलकर कह रहे हैं कि अब हम भागेंगे नहीं, बल्कि यहीं रहकर अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे।

संघ की यात्रा: उपेक्षा से स्वीकार्यता तक

संघ की 100 वर्षों की यात्रा का ज़िक्र करते हुए भागवत ने बताया कि शुरूआत में संघ के पास न प्रचार का साधन था, न जनमान्यता। सिर्फ विरोध और उपेक्षा थी। लेकिन संघ की कार्यपद्धति और विचारधारा के कारण वह न केवल टिका बल्कि ताकतवर बनकर उभरा। उन्होंने कहा कि “आपातकाल के बाद संघ की ताकत कई गुना बढ़ गई और इसी तरह संगठित होकर हिंदू समाज को भी सशक्त बनाया जा सकता है।”

महिलाओं की भूमिका पर विचार: सशक्तिकरण जरूरी

भागवत ने महिलाओं की भूमिका पर भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “महिलाओं का उद्धार पुरुष नहीं कर सकते। महिलाएं स्वयं ही अपने अधिकारों के लिए आगे आएंगी और वहीं समाज के उद्धार की दिशा तय करेंगी। संघ इसीलिए महिलाओं को सशक्त बनाने पर जोर देता है और उन्हें स्वतंत्रता देता है कि वे जो चाहें, वह कर सकें।”

पाकिस्तान, अहिंसा और सुरक्षा नीति पर स्पष्ट रुख

एक पुस्तक विमोचन समारोह में भागवत ने पाकिस्तान और पड़ोसी देशों के प्रति भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए कहा, “अहिंसा हमारा स्वभाव है, लेकिन जो सुधारने से न सुधरे, उन्हें सबक सिखाना ही पड़ता है। राजा का धर्म है कि वह प्रजा की रक्षा करे।”

उन्होंने कहा कि “हम अपने पड़ोसियों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन अगर वे बुराई पर उतर आएं तो उनके लिए भी कोई विकल्प नहीं छोड़ा जाना चाहिए। दुनिया को हमें बहुत कुछ सिखाना है और हमारे पास बहुत कुछ है जो हम दे सकते हैं।”

पहलगाम आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया: यह धर्म और अधर्म की लड़ाई है

मोहन भागवत ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि “आतंकी धर्म पूछकर लोगों की हत्या कर रहे हैं, जबकि हिंदू कभी ऐसा नहीं करेगा। यह धर्म और अधर्म की लड़ाई है। अब समय आ गया है कि भारत अपनी ताकत का प्रदर्शन करे।”

उन्होंने कहा कि भगवान राम ने भी रावण को सुधरने का अवसर दिया था, लेकिन जब वह नहीं सुधरा तो उसे सबक सिखाया गया। उसी तरह “दुष्टता को समाप्त करने के लिए हमें शक्ति का उपयोग करना होगा।”


Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram