- देश में मानसून ने समय से पहले दस्तक देकर चौंका दिया
- पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी मानसूनी आगमन है
नई दिल्ली। इस बार देश में मानसून ने समय से पहले दस्तक देकर चौंका दिया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून 2025 में 19 मई को ही केरल पहुंच गया, जो तय तिथि 1 जून से पूरे आठ दिन पहले है। यह पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी मानसूनी आगमन है। इससे पहले इतनी जल्दी मानसून केवल 2009 और 2001 में ही आया था।
क्यों आया मानसून इतनी जल्दी?
मौसम विभाग के अनुसार, मानसून के जल्दी पहुंचने की वजह अनुकूल मौसमी परिस्थितियों का बनना है। बीते दो दिनों में केरल के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई, जो एक सक्रिय कम दबाव क्षेत्र और मजबूत मानसूनी प्रवाह का संकेत है। दक्षिण कोंकण तट के पास पूर्व-मध्य अरब सागर में बने दबाव क्षेत्र ने इस प्रक्रिया को और तेज कर दिया। यह दबाव क्षेत्र 24 मई को रत्नागिरी से करीब 40 किमी उत्तर-पश्चिम में सक्रिय था और इसके तट से टकराने की संभावना जताई गई है।
देश के अन्य हिस्सों में क्या असर?
IMD ने 29 मई तक केरल और तटीय कर्नाटक में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की संभावना जताई है। इन इलाकों में 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं भी चलेंगी। इसके अलावा, कोंकण, गोवा, तमिलनाडु, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी अगले कुछ दिनों तक गरज-चमक के साथ बारिश होने की संभावना है।
क्या पूरे देश में जल्दी पहुंचेगा मानसून?
मौसम विज्ञानियों का कहना है कि केरल में मानसून के जल्दी या देर से पहुंचने का यह अर्थ नहीं है कि पूरे देश में भी बारिश जल्दी या देर से होगी। मानसून की गति और फैलाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे – हवा की दिशा, तापमान, और समुद्री दबाव। आमतौर पर मानसून 1 जून से शुरू होकर 8 जुलाई तक पूरे देश को कवर करता है, और फिर 17 सितंबर से वापसी शुरू होती है।
अल नीनो नहीं बनेगा बाधा
IMD ने पहले ही संकेत दिया था कि इस बार मानसून सामान्य से बेहतर रहेगा। अप्रैल में जारी पूर्वानुमान में अल नीनो के प्रभाव को नकारा गया था। अल नीनो की स्थिति अक्सर भारत में कम वर्षा से जुड़ी होती है, लेकिन इस बार ऐसे कोई संकेत नहीं हैं। इससे खेती-किसानी से जुड़े क्षेत्रों में राहत की उम्मीद की जा रही है।