- पश्चिमी देशों से मिल रही आलोचना पर इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का गुस्सा फूट पड़ा
इज़रायल । ग़ाज़ा पट्टी में इज़रायल ने अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन इस कार्रवाई को लेकर पश्चिमी देशों से मिल रही आलोचना पर इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का गुस्सा फूट पड़ा है। ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा द्वारा ग़ाज़ा में इज़रायली सेना की आक्रामकता पर चिंता जताने के बाद नेतन्याहू ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये देश हमास के जनसंहार को इनाम दे रहे हैं और इज़रायल को उसके आत्मरक्षा के अधिकार से वंचित करना चाहते हैं।
“यह बर्बरता पर सभ्यता का युद्ध है”
नेतन्याहू ने अपने बयान में ग़ाज़ा युद्ध को सभ्यता बनाम बर्बरता की लड़ाई करार दिया और स्पष्ट शब्दों में कहा, “इज़रायल तब तक न्यायपूर्ण तरीके से युद्ध करेगा जब तक कि उसे पूर्ण विजय प्राप्त न हो जाए।” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि यह युद्ध इज़रायल ने नहीं, बल्कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने शुरू किया था, जब सैकड़ों आतंकियों ने सीमा पार कर 1,200 निर्दोष लोगों की हत्या की और 250 से अधिक लोगों का अपहरण कर ग़ाज़ा ले गए।
ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा की अपील
ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने संयुक्त बयान जारी कर इज़रायल से ग़ाज़ा में सैन्य कार्रवाई रोकने और मानवीय सहायता पहुंचाने की अपील की थी। इन देशों ने युद्ध में बढ़ती नागरिक मौतों पर चिंता जताई और युद्धविराम की संभावना तलाशने की बात कही।
नेतन्याहू का ट्रंप पर भरोसा
बयान के अंत में नेतन्याहू ने इज़रायल की युद्ध समाप्ति की शर्तों को दोहराते हुए अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख की सराहना की और कहा कि “ट्रंप जिस तरह इस संघर्ष को समझते हैं, वही रुख यूरोपीय नेताओं को भी अपनाना चाहिए।” उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि—
बंधकों की रिहाई हो जाए,
हमास हथियार डाल दे,
और उसके हत्यारे नेताओं को निर्वासित कर दिया जाए,
तो इज़रायल युद्ध कल ही खत्म कर देगा। लेकिन इससे कम कोई भी समाधान स्वीकार्य नहीं होगा।