नई दिल्ली। भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने एक अहम तकनीकी समस्या का समाधान कर लोकतंत्र को और अधिक पारदर्शी बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। करीब 20 वर्षों से मतदाता सूची में एक जैसे एपिक (EPIC) नंबर की जो जटिल समस्या बनी हुई थी, उसे अब पूरी तरह सुलझा लिया गया है।
क्या थी समस्या?
2005 से विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विधानसभा क्षेत्रों के आधार पर अलग-अलग अल्फान्यूमेरिक सीरीज़ के जरिए मतदाता पहचान पत्र जारी किए जा रहे थे। लेकिन 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीरीज़ बदली गई, जिससे कुछ क्षेत्रों में पुरानी सीरीज़ या टाइपिंग की गलतियों के चलते एक जैसे एपिक नंबर अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में वैध मतदाताओं को जारी हो गए।
इससे मतदाता सूची की वैधता पर सवाल उठ सकते थे, हालांकि आयोग ने स्पष्ट किया है कि इससे कभी किसी भी मतदाता को दो जगह वोट देने का अवसर नहीं मिला, और किसी चुनाव परिणाम पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
कैसे हुआ समाधान?
देशभर के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले 4123 विधानसभा क्षेत्रों के 10.5 लाख से अधिक मतदान केंद्रों में मौजूद 99 करोड़ से अधिक मतदाताओं की सूची को गहनता से जांचा गया। इस प्रक्रिया में पाया गया कि हर चार मतदान केंद्रों में औसतन एक ऐसा मामला था, जहां एपिक नंबरों की समानता देखी गई।
अब सभी ऐसे मतदाताओं को नए यूनिक एपिक नंबर जारी कर दिए गए हैं और उन्हें नए पहचान पत्र भी प्रदान किए जा चुके हैं।
पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में अहम कदम
चुनाव आयोग के इस प्रयास का उद्देश्य भविष्य में किसी भ्रम या शंका से बचाव करना है। आयोग ने स्पष्ट किया कि यह मात्र एक तकनीकी सुधार है, जिसका चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा। इस कदम से देश की चुनावी व्यवस्था में विश्वास और पारदर्शिता को और अधिक मजबूती मिलेगी।
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