August 2, 2025 12:57 AM

भू-बैकुंठ बदरीनाथ में 15 मई से पुष्कर कुंभ: 12 वर्षों बाद मां सरस्वती के तट पर फिर होगा ज्ञान यज्ञ

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देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड स्थित पवित्र बदरीनाथ धाम इस वर्ष एक ऐतिहासिक आयोजन का साक्षी बनने जा रहा है। 15 मई से यहां 12 वर्षों बाद ‘पुष्कर कुंभ मेला’ आरंभ होगा, जो 25 मई तक चलेगा। सरस्वती नदी के उद्गम स्थल पर होने वाला यह विशेष आयोजन आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत दुर्लभ और विशिष्ट माना जाता है।

दक्षिण भारत से पहुंचेगा आचार्यों का प्रतिनिधिमंडल

इस आयोजन के लिए दक्षिण भारत से वैदिक परंपरा से जुड़े आचार्यों का एक बड़ा दल बदरीनाथ धाम पहुंचेगा। वे यहां मां सरस्वती के तट पर विशेष अनुष्ठान और वेदपाठ कर ज्ञान की देवी से बुद्धि और विवेक की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करेंगे। आयोजन की शुरुआत के साथ ही धार्मिक आस्थाओं का सागर सरस्वती के इस अल्पप्रवाही किनारे पर उमड़ पड़ेगा।

सरस्वती नदी के उद्गम पर अद्वितीय आयोजन

बदरीनाथ धाम के निकट स्थित माणा गांव के पास सरस्वती नदी का प्रवाह क्षेत्र लगभग एक किलोमीटर का है, जहां यह दुर्लभ मेला आयोजित किया जाएगा। यह नदी स्वयं में रहस्य और श्रद्धा का संगम है, क्योंकि इसे अदृश्य और पवित्र नदी के रूप में जाना जाता है।

ज्योतिषीय संयोग से तय हुआ मेला

14 मई 2025 की रात 11:20 बजे बृहस्पति ग्रह का मिथुन राशि में प्रवेश होगा। दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार जब बृहस्पति मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं, तब पुष्कर कुंभ का विशेष योग बनता है। इस ज्योतिषीय संयोग के आधार पर 15 मई से पुष्कर कुंभ मेला आरंभ होगा।

यह आयोजन हर 12 वर्ष में केवल एक बार होता है, और इसके आयोजन का मुख्य केंद्र वही स्थल होता है जहां सरस्वती नदी का प्रवाह विद्यमान होता है।

आध्यात्मिकता, परंपरा और आस्था का संगम

यह मेला न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि भारतीय वैदिक परंपरा का जीवंत स्वरूप भी है, जिसमें दक्षिण और उत्तर भारत की सांस्कृतिक एकता भी स्पष्ट रूप से झलकती है। इस अवसर पर शंकराचार्य परंपरा से जुड़े संत, विद्वान और श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचेंगे।

बदरीनाथ धाम में होने वाला यह पुष्कर कुंभ न केवल सरस्वती के प्रतीकात्मक दर्शन का अवसर देगा, बल्कि ज्ञान, ध्यान और आत्मविवेक की साधना का भी एक दुर्लभ मंच प्रदान करेगा।



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