- भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल पहुंच सकता है
- दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल से शुरू होकर पूरे देश में फैलता है और लगभग 8 जुलाई तक सम्पूर्ण भारत को कवर कर लेता है
नई दिल्ली । देश में इस बार मानसून समय से पहले दस्तक दे सकता है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून 27 मई को केरल पहुंच सकता है। आमतौर पर यह 1 जून के आसपास केरल में प्रवेश करता है, लेकिन इस बार इसके पहले ही पहुंचने की संभावना जताई गई है। यदि यह अनुमान सटीक बैठता है, तो यह 2009 के बाद सबसे जल्दी मानसून का आगमन होगा, जब 23 मई को मानसून केरल पहुंच गया था। हर साल दक्षिण-पश्चिम मानसून केरल से शुरू होकर पूरे देश में फैलता है और लगभग 8 जुलाई तक सम्पूर्ण भारत को कवर कर लेता है। इसके बाद 17 सितंबर से इसकी वापसी उत्तर-पश्चिम भारत से शुरू होती है और 15 अक्टूबर तक पूरा देश इससे विदा ले लेता है।
अंडमान-निकोबार में जल्द होगी बारिश की शुरुआत
मौसम विभाग के अनुसार, इस साल अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 13 मई तक मानसूनी बारिश की शुरुआत हो सकती है। यह भारत में मानसून की पहली एंट्री मानी जाती है।
सामान्य से ज्यादा बारिश की उम्मीद
मौसम विभाग ने अप्रैल में जारी अपने पूर्वानुमान में कहा था कि 2025 में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ऐसा होता है, तो यह अल-नीनो के नकारात्मक प्रभाव को काफी हद तक संतुलित कर सकता है। सामान्यतः अल-नीनो के कारण देश में कम बारिश होती है, जिससे सूखे की स्थिति बन सकती है।
खेती और अर्थव्यवस्था को मिलेगा सहारा
भारत में सालाना कुल वर्षा का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा मानसून के दौरान ही गिरता है। देश के 70% से अधिक किसान वर्षा आधारित सिंचाई पर निर्भर हैं। यानी मानसून की स्थिति का सीधा असर खेती, फसल उत्पादन और महंगाई पर पड़ता है। अगर मानसून अच्छा रहता है, तो फसलें बेहतर होंगी और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। यह त्योहारी सीजन से पहले ग्रामीण खपत को बढ़ावा देगा, जिससे देश की इकोनॉमी को भी गति मिलेगी। गौरतलब है कि कृषि का भारत की GDP में करीब 20% योगदान है और यह देश की लगभग आधी आबादी को रोजगार भी देता है।