July 4, 2025 2:51 PM

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान को झटका: झूठे आरोपों पर कोई समर्थन नहीं, लश्कर की भूमिका पर उठे सवाल

  • संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने लश्कर की भूमिका को लेकर भी किए सवाल
  • बैठक में आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की गई

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद बौखलाए पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय मंच पर माहौल बनाने की कोशिश की, लेकिन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उसे करारा झटका लगा। पाकिस्तान के आग्रह पर बुलाई गई बंद कमरे की बैठक में संयुक्त राष्ट्र ने न सिर्फ उसके दावों को खारिज किया, बल्कि कड़ी निंदा करते हुए लश्कर-ए-तैयबा (LeT) की भूमिका पर भी जवाब मांगा।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भारत के खिलाफ आरोपों को नहीं माना

पाकिस्तान ने बैठक में एक बार फिर कश्मीर मुद्दे को उठाने और भारत पर आरोप लगाने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों ने उसकी ‘झूठे झंडे’ वाली थ्योरी को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। बैठक का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला और भारत के खिलाफ किसी प्रकार का प्रस्ताव या प्रतिक्रिया जारी नहीं हुई।

लश्कर-ए-तैयबा की भूमिका पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का सख्त रुख

बैठक में सदस्यों ने पहलगाम हमले में लश्कर की संलिप्तता को लेकर पाकिस्तान से जवाब तलब किया। UNSC ने स्पष्ट किया कि धार्मिक पर्यटन स्थलों और श्रद्धालुओं पर हमले अंतरराष्ट्रीय कानूनों का गंभीर उल्लंघन हैं। परिषद ने आतंकवाद की निंदा करते हुए जवाबदेही तय करने की आवश्यकता को दोहराया।

पाकिस्तान की परमाणु धमकियों पर भी चिंता

संयुक्त राष्ट्र के कई सदस्यों ने पाकिस्तान के मिसाइल परीक्षणों और परमाणु युद्ध संबंधी बयानों पर गहरी चिंता जताई। ये कदम क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक बताए गए। पाकिस्तान की तरफ से विवाद का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश भी पूरी तरह नाकाम रही।

दोतरफा बातचीत की सलाह

बैठक में लगभग सभी सदस्य देशों ने पाकिस्तान को दो टूक सलाह दी कि भारत से बातचीत ही एकमात्र समाधान है। सुरक्षा परिषद ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे मुद्दे द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाए जाने चाहिए, न कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हवा बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाएं।

पाकिस्तान की कोशिश बेनतीजा रही

UNSC में पाकिस्तान की रणनीति पूरी तरह उलटी पड़ गई। न तो उसे अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिला और न ही भारत के खिलाफ कोई ठोस रुख अपनाया गया। उल्टा, उसकी अपनी भूमिका और नीयत पर सवाल उठे। इससे साफ है कि अब वैश्विक समुदाय भी पाकिस्तान की आतंक पोषक नीति को पहचान चुका है।

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