July 14, 2025 11:45 PM

तेज चलना दिल के लिए वरदान: हृदय अतालता का खतरा 46% तक कमग्लासगो विश्वविद्यालय के अध्ययन में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

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नई दिल्ली।
भारतीयों में दिल की बीमारियां और अचानक हृदयघात की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। साइलेंट हार्ट अटैक से लेकर हृदय अतालता (Atrial Fibrillation) जैसी समस्याएं जीवनशैली से जुड़ी गंभीर चेतावनियां बन चुकी हैं। लेकिन हाल ही में प्रकाशित एक नए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन ने एक सरल और कारगर उपाय सुझाया है—तेज गति से पैदल चलना

ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन को प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘हार्ट’ में प्रकाशित किया गया है। इसमें 13 वर्षों तक यूके बायोबैंक से जुड़े 4,20,000 से अधिक प्रतिभागियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया। नतीजे बताते हैं कि तेज चलने वाले लोगों में दिल की अनियमित धड़कनों का खतरा 46 फीसदी तक कम हो जाता है।

हृदय अतालता क्या है?

हृदय अतालता, जिसे मेडिकल भाषा में एट्रियल फिब्रिलेशन कहा जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की धड़कन असामान्य रूप से तेज या बहुत धीमी हो जाती है। इससे स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर और अन्य जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। भारत में यह समस्या शहरी जीवनशैली और तनाव के चलते तेजी से फैल रही है।

अध्ययन में क्या सामने आया?

  • तेज चाल: जिन प्रतिभागियों ने खुद को तेज चाल में चलने वाला बताया, उनमें एट्रियल फिब्रिलेशन जैसी हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा 46% तक कम पाया गया।
  • औसत चाल: इनमें यह जोखिम 35% तक घटा
  • धीमी चाल: इस वर्ग में हृदय अतालता का जोखिम अपेक्षाकृत अधिक रहा।

अध्ययन में यह भी बताया गया कि जिन 36,574 लोगों में हृदय गति संबंधी समस्याएं विकसित हुईं, उनमें वेंट्रिकुलर अतालता, ब्रेडीकार्डिया (धीमी धड़कन) और हृदय की विद्युत प्रणाली की अन्य गड़बड़ियां शामिल थीं।

क्यों असरदार है तेज चलना?

तेज चलने से शरीर में मेटाबोलिज्म (चयापचय) बेहतर होता है और सूजन कारक (Inflammatory markers) घटते हैं। इससे हृदय की विद्युत क्रिया में सुधार आता है और कोशिकाएं स्वस्थ बनी रहती हैं। साथ ही, यह मोटापे को कम कर हृदय पर पड़ने वाले दबाव को घटाता है।

  • तेज चलने से रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन वितरण बेहतर होता है, जिससे हृदय कम मेहनत में बेहतर काम करता है।
  • यह एक ऐसा व्यायाम है जो हर उम्र और वर्ग के लोगों के लिए सुलभ, सस्ता और सुरक्षित है।

निष्क्रियता बनाम सक्रियता: जीवन-मृत्यु का अंतर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, जो लोग शारीरिक रूप से निष्क्रिय रहते हैं, उनमें सक्रिय लोगों की तुलना में मृत्यु का जोखिम 20 से 30 प्रतिशत अधिक होता है। यही कारण है कि विशेषज्ञ पैदल चलने को सबसे आसान लेकिन प्रभावी जीवनशैली सुधार मानते हैं।

प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर मैकीज बानाच के अनुसार, “भले ही 10,000 कदम चलना आदर्श माना जाता है, लेकिन रोजाना 4,000 कदम भी स्वास्थ्य लाभ देने के लिए पर्याप्त हैं।”

और ज्यादा चलें, ज्यादा जिएं

एक अन्य अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में पाया गया कि:

  • हर 1,000 अतिरिक्त कदम से मृत्यु जोखिम 15% तक घटता है।
  • 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में 6,000 से 10,000 कदम प्रतिदिन चलने से मृत्यु का जोखिम 42% तक कम हुआ।

निष्कर्ष के बजाय एक प्रेरणा

यह अध्ययन सिर्फ आंकड़ों की कहानी नहीं कहता, बल्कि एक जीवंत जीवनशैली परिवर्तन का रास्ता दिखाता है। दिल की बीमारियों से जूझते भारत में यह एक सशक्त संदेश है कि एक साधारण आदत—तेज चलना—आपके दिल को लंबे समय तक धड़कता रख सकता है। बिना किसी दवा, उपकरण या जटिलता के, आप अपनी सबसे महंगी संपत्ति—स्वस्थ हृदय—की रक्षा कर सकते हैं।

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