- बिक्री के तेजी से बढ़ने के कारण आउटपुट में इजाफा होना है
मुंबई । भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि दर मार्च में आठ महीने के उच्चतम स्तर पर रही है। इसकी वजह बिक्री के तेजी से बढ़ने के कारण आउटपुट में इजाफा होना है। एचएसबीसी की ओर से बुधवार को जारी की गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
स्टॉक में सबसे तेज गिरावट, मांग बढ़ने से कंपनियों की इन्वेंट्री घटी
एसएंडपी ग्लोबल के आंकड़ों के अनुसार, मार्च में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी ऐसे समय में आई जब अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर्स की वृद्धि दर धीमी हो गई थी। इस दौरान कंपनियों ने अपनी इन्वेंट्री का उपयोग किया, जिससे जनवरी 2022 के बाद सबसे तेज स्टॉक गिरावट दर्ज की गई।
भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई मार्च में 58.1 पर पहुंचा
एचएसबीसी में भारत के मुख्य अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने बताया कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) मार्च में 58.1 पर रहा, जबकि फरवरी में यह 56.3 था। इन्वेंट्री में गिरावट के कारण कंपनियों ने इनपुट खरीद में भी तेजी लाई, जिससे यह सात महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई।
मार्च में बिक्री में आई जबरदस्त तेजी
भंडारी ने कहा कि कारोबारी उम्मीदें आशावादी बनी हुई हैं। सर्वेक्षण में शामिल करीब 30% कंपनियों ने अगले वर्ष उत्पादन में वृद्धि की संभावना जताई, जबकि 2% से भी कम कंपनियों ने गिरावट की आशंका जाहिर की। मार्च 2025 में कुल बिक्री जुलाई 2024 के बाद सबसे तेजी से बढ़ी, जिसका कारण ग्राहकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया, बेहतर मार्केटिंग और मांग में वृद्धि रहा।
आने वाले महीनों में भी उत्पादन बेहतर रहने की संभावना
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 के अंत में कंपनियों ने उत्पादन में तेजी लाई। विस्तार की दर ऐतिहासिक औसत से ऊपर और आठ महीनों में सबसे मजबूत रही। हालांकि, नए निर्यात ऑर्डर्स की वृद्धि दर तीन महीने के निचले स्तर पर आ गई। अधिक मांग के कारण मार्च में स्टॉक में गिरावट आई, जो बीते तीन वर्षों में सबसे तेज थी। रिपोर्ट में कहा गया कि अच्छी मांग और सकारात्मक ग्राहक प्रतिक्रिया के चलते अगले 12 महीनों में उत्पादन बेहतर रहने की उम्मीद है।