नई दिल्ली। 1 अप्रैल 2025 से नए वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत हो गई है और इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में किए गए कई अहम बदलाव लागू हो जाएंगे। इन बदलावों का असर टैक्स स्लैब, टीडीएस, टीसीएस, रिटर्न फाइलिंग, इंश्योरेंस पॉलिसी और कस्टम ड्यूटी पर पड़ेगा।
इन सुधारों का सबसे ज्यादा फायदा मध्यमवर्गीय नौकरीपेशा लोगों, वरिष्ठ नागरिकों, निवेशकों और विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों को होगा। वहीं, कुछ क्षेत्रों में नई कर व्यवस्थाओं का बोझ भी बढ़ेगा। आइए जानते हैं कि 1 अप्रैल से लागू होने वाले इन 6 बड़े बदलावों का आम जनता पर क्या असर होगा।
1. टैक्स स्लैब में बदलाव: 12 लाख तक टैक्स फ्री, 20-24 लाख पर नया स्लैब
- नया टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।
- 75 हजार रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन को जोड़ने के बाद 12.75 लाख रुपये तक की कमाई टैक्स फ्री हो जाएगी।
- 20 से 24 लाख रुपये की इनकम के लिए 25% टैक्स का नया स्लैब जोड़ा गया है।
- पहले 30% टैक्स की उच्चतम दर 15 लाख रुपये से ऊपर की इनकम पर लागू होती थी, अब यह सीमा 24 लाख रुपये कर दी गई है।
💡 इस बदलाव से मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग के लोगों को टैक्स में राहत मिलेगी। पहले की तुलना में ज्यादा इनकम टैक्स फ्री होगी और कर बचत बढ़ेगी।
2. टीडीएस छूट की सीमा बढ़ी: किराये, एफडी और प्रोफेशनल सर्विस पर राहत
- रेंटल इनकम पर टीडीएस की सीमा 2.4 लाख से बढ़कर 6 लाख रुपये कर दी गई है।
- वरिष्ठ नागरिकों को बैंक एफडी पर छूट: पहले 50 हजार तक की ब्याज आय पर टीडीएस छूट थी, अब यह 1 लाख रुपये हो गई है।
- प्रोफेशनल सर्विस पर टीडीएस की सीमा 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी गई है।
💡 इस बदलाव से किरायेदारों, वरिष्ठ नागरिकों और प्रोफेशनल्स को टैक्स में राहत मिलेगी। साथ ही, उनके लिए नकदी प्रवाह में सुधार होगा।
3. टीसीएस छूट की सीमा बढ़ी: विदेश में पढ़ाई के लिए 10 लाख तक टैक्स फ्री
- अब विदेश में पढ़ाई के लिए 10 लाख रुपये तक भेजने पर कोई टीसीएस (Tax Collected at Source) नहीं लगेगा।
- पहले यह सीमा 7 लाख रुपये थी, यानी अब अतिरिक्त 3 लाख रुपये तक भेजने पर कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लगेगा।
- यदि रकम बैंक लोन के जरिए भेजी गई हो, तो उस पर बिल्कुल भी टीसीएस नहीं लगेगा।
💡 इसका सबसे बड़ा फायदा उन छात्रों और परिवारों को होगा जो विदेश में शिक्षा के लिए बड़ी रकम भेजते हैं। अब बिना अतिरिक्त कर भुगतान के अधिक राशि भेजी जा सकेगी।
4. रिटर्न फाइलिंग के लिए ज्यादा समय: 48 महीने तक कर सकेंगे अपडेटेड रिटर्न दाखिल
- अब टैक्सपेयर्स असेसमेंट ईयर के अंत से 24 महीने की बजाय 48 महीने तक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकेंगे।
- हालांकि, अतिरिक्त समय के साथ अतिरिक्त टैक्स भी देना होगा:
- 24 से 36 महीने के बीच दाखिल करने पर 60% अतिरिक्त टैक्स
- 36 से 48 महीने के बीच दाखिल करने पर 70% अतिरिक्त टैक्स
💡 इस बदलाव से टैक्सपेयर्स को अपनी पुरानी फाइलिंग में सुधार करने का अधिक समय मिलेगा, जिससे अनावश्यक कानूनी विवादों से बचा जा सकेगा।
5. यूलिप पर कैपिटल गेन टैक्स: 2.5 लाख से ज्यादा प्रीमियम होगा टैक्सेबल
- यदि किसी व्यक्ति की यूलिप (Unit Linked Insurance Plan) का वार्षिक प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक है, तो उसे कैपिटल एसेट माना जाएगा और उस पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।
- अगर यूलिप को 12 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तो उस पर 12.5% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।
- यदि इसे 12 महीने से कम समय तक रखा जाता है, तो उस पर 20% शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लागू होगा।
💡 इस बदलाव से उच्च प्रीमियम वाले यूलिप पॉलिसीधारकों को टैक्स देना होगा। सरकार इसे टैक्स-फ्री इन्वेस्टमेंट के रूप में उपयोग करने से रोकने के लिए लाई है।
6. कस्टम ड्यूटी में बदलाव: 150-200 उत्पाद होंगे सस्ते-महंगे
- सरकार ने कुछ उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी घटाई और कुछ पर बढ़ाई है।
- लगभग 150-200 उत्पादों की कीमतों में बदलाव होगा।
- यह तय करना कि कौन से उत्पाद सस्ते होंगे और कौन से महंगे, केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के नोटिफिकेशन पर निर्भर करेगा।
- उदाहरण के लिए, पिछले बजट में मोबाइल फोन और कीमती धातुओं पर कस्टम ड्यूटी में बदलाव 24 जुलाई 2024 से लागू हुआ था।
💡 इस बदलाव का असर रोजमर्रा के उत्पादों की कीमतों पर पड़ेगा। कस्टम ड्यूटी में बदलाव से उपभोक्ता वस्तुओं के दाम ऊपर-नीचे हो सकते हैं।
निष्कर्ष: नए वित्तीय वर्ष के साथ करदाताओं के लिए नई व्यवस्था
1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले ये बड़े आर्थिक बदलाव आम आदमी के जीवन को प्रभावित करेंगे।
- टैक्स स्लैब में बदलाव से नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी।
- वरिष्ठ नागरिकों, प्रोफेशनल्स और किरायेदारों को टीडीएस छूट से फायदा होगा।
- विदेश में पढ़ने वाले छात्रों और उनके परिवारों को टीसीएस छूट मिलेगी।
- रिटर्न दाखिल करने की समय-सीमा बढ़ने से टैक्सपेयर्स को अधिक अवसर मिलेगा।
- यूलिप पर टैक्स से हाई-इनकम ग्रुप के लिए नई कर देनदारी आएगी।
- कस्टम ड्यूटी में बदलाव से उत्पादों की कीमतों में उतार-चढ़ाव होगा।
स्वदेश ज्योति के द्वारा
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