Trending News

April 19, 2025 8:23 PM

लोकसभा की मर्यादा का रखें ध्यान

आश्चर्यजनक बात है कि लंबे समय तक सत्ता में रही कांग्रेस के नेता संसदीय परंपराओं एवं नियमावली से अनभिज्ञ हैं। ऐसा भी हो सकता है कि वे जानबूझकर नियमों की अनदेखी करते हों। जैसा भी हो, लेकिन यह ठीक नहीं कि अपनी अनभिज्ञता या जानबूझकर की गई अनदेखी के लिए संसदीय आसंदी पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाएं। कांग्रेस के पोस्टर बॉय एवं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने एक बार फिर आरोप लगाया है कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया जाता है। उनका माइक बंद कर दिया जाता है। उनका आरोप है कि वे जब भी सदन में कुछ कहने के लिए उठते हैं, लोकसभा अध्यक्ष उन्हें बोलने नहीं देते हैं। राहुल गांधी के यह आरोप बचकाने हैं। उनके आरोप वास्तविकता से भी मेल नहीं खाते हैं। देश ने देखा है कि संसद में राहुल गांधी को बोलने का पूरा अवसर दिया जाता है। यहाँ तक कि कई बार अध्यक्ष ने उन्हें अतिरिक्त समय भी दिया है। संसद में उनके ही भाषणों पर कई बार विवाद भी हुआ है, जो इस बात का साक्षी है कि उन्होंने खुलकर अपने मन की बात सदन में रखी थी। याद हो कि लोकसभा के अध्यक्ष कई बार राहुल गांधी को समझाइश दे चुके हैं लेकिन कांग्रेस के नेता अपने आचरण में किसी भी प्रकार का सुधार लाना ही नहीं चाह रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी के उक्त आरोपों से पहले ही बुधवार को सदन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को खरी-खरी सुनाई थी। जब सदन की कार्यवाही चल रही थी उसी दौरान अध्यक्ष ने कांग्रेस सदस्यों को रोकते हुए राहुल को लेकर टिप्पणी की। बिरला अपनी टिप्पणी के दौरान काफी नाराज दिख रहे थे। उन्होंने आक्रोशित हुए कहा कि “माननीय सदस्यगण आप सबसे अपेक्षा की जाती है कि सदन में सदन की मर्यादा और शालीनता के कुछ मापदंडों को बनाए रखें। सदन में मेरे संज्ञान में ऐसी कई घटनाएं आई हैं जब माननीय सदस्यों के आचरण सदन की उच्च परंपराओं और मापदंडों के अनुरूप नहीं रहे हैं। इस सदन में पिता-पुत्री, मां-बेटी, पति-पत्नी सदस्य रहे हैं। इस परिप्रेक्ष्य में मेरा नेता प्रतिपक्ष से ये अपेक्षा है कि लोकसभा प्रक्रिया के नियम 349 के वर्णित सभा में पालनीय नियमों के अनुरूप ही सदन में आचरण और व्यवहार करें, जो सदन की मर्यादा और प्रतिष्ठा के अनुरूप होना चाहिए”। स्पष्ट है कि उन्हें राहुल गांधी का आचरण संसदीय मर्यादा के अनुकूल नहीं लगा, इसलिए उन्होंने एक बार फिर उन्हें संसदीय नियमों का पालन करने की सीख दी। यह बात सही है कि संसद में बोलने का मतलब यह नहीं है कि कोई सदस्य जब चाहे उठकर खड़ा हो जाए और बोलना शुरू कर दे। संसद में किसी सदस्य को अपनी बात रखनी है तो उसकी एक पद्धति है। उस पद्धति का पालन सबको करना चाहिए। अन्यथा, संसद को चलाना अत्यंत कठिन हो जाएगा और अनेक सदस्यों को अपने मुद्दे रखने का अवसर ही नहीं मिलेगा। संसद को नियमानुसार चलाने में नेता प्रतिपक्ष एवं विपक्ष के सदस्यों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है, इस बात को कांग्रेस और उसके नेताओं को समझना चाहिए।

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on telegram