July 6, 2025 7:31 AM

महादेव के विवाह की धूम: काशी में महाशिवरात्रि उत्सव, लाखों श्रद्धालु बने साक्षी

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बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमा पर हल्दी चढ़ाई गई, भजन-कीर्तन के साथ उत्सव में डूबा बनारस

वाराणसी। महादेव शिव की नगरी काशी में महाशिवरात्रि का भव्य उत्सव मनाया जा रहा है। इस पावन अवसर पर पूरे बनारस में उत्सवी माहौल है। भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की रस्में पूरी श्रद्धा और भक्ति भाव से निभाई जा रही हैं। बाबा विश्वनाथ की रजत प्रतिमा पर हल्दी लगाई गई, जो विशेष रूप से मेवाड़ से लाई गई है।

भजन-कीर्तन से गूंज रही काशी, शिव-पार्वती के मंगलमय दांपत्य जीवन की कामना

महिलाएं शिव भजन और मंगल गीत गा रही हैं। गीतों में शिव और पार्वती के दांपत्य जीवन की मंगल कामना की जा रही है। पूरे शहर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। बाबा विश्वनाथ के विवाह उत्सव को देखने के लिए 10 लाख से अधिक श्रद्धालु काशी पहुंच चुके हैं। हर गली, हर मंदिर और हर घाट पर शिव महिमा का गुणगान किया जा रहा है।

बाबा विश्वनाथ की हल्दी रस्म: परंपरा निभा रहा तिवारी परिवार

महादेव के विवाह की रस्मों में बाबा को हल्दी चढ़ाने की परंपरा को निभाते हुए, पूर्व महंत स्वर्गीय कुलपति तिवारी के आवास पर इस अनुष्ठान का आयोजन किया गया। इस रस्म को उनके बेटे पंडित वाचस्पति तिवारी और परिवार की महिलाओं ने पूरा किया। हल्दी के इस अनुष्ठान में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।

विशेष भोग और प्रसाद: बनारसी ठंडई, पान और पंचमेवा का महादेव को भोग

बाबा विश्वनाथ को विशेष रूप से बनारसी ठंडई, पान और पंचमेवा का भोग अर्पित किया जा रहा है। यह प्रसाद भक्तों के बीच भी वितरित किया जाएगा। पूरे बनारस में इस उत्सव को भव्य रूप देने के लिए विभिन्न आयोजन किए जा रहे हैं। बाबा के विवाह की बारात निकलने से पहले पूरे शहर को भव्य रूप से सजाया गया है।

दूल्हा बनने को तैयार हैं काशी के पुराधिपति

जल्द ही बाबा विश्वनाथ दूल्हे के रूप में विराजमान होंगे और उनके माथे पर मौर (सेहरा) सजेगा। भक्त इस दिव्य क्षण के साक्षी बनने के लिए उत्साहित हैं। महाशिवरात्रि पर काशी में शिव विवाह की यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और यह आयोजन हर साल भव्य तरीके से किया जाता है।

काशी में शिव विवाह की परंपरा का महत्व

महाशिवरात्रि का यह पर्व न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि यह काशी की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा भी है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पवित्र विवाह संपन्न हुआ था। काशी में यह पर्व विशेष उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है, जहां हर गली और मंदिर में शिव-पार्वती के विवाह का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है।

श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम

इस महापर्व पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए गए हैं और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए पुलिस बल को तैनात किया गया है। इसके अलावा, विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं।

महादेव शिव और माता पार्वती के विवाह की यह अद्भुत परंपरा काशी के धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी विशेष बना देती है। हर साल की तरह इस बार भी लाखों भक्त इस दिव्य अनुष्ठान में शामिल होकर अपने आराध्य के विवाह के साक्षी बन रहे हैं।

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