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March 12, 2025 9:19 PM

किशोरों के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग असुरक्षित, कोशिका विकास हो सकता है प्रभावित : अध्ययन

"इंटरमिटेंट फास्टिंग का किशोरों के स्वास्थ्य पर प्रभाव"

नई दिल्ली, 14 फरवरी । फास्टिंग यानी उपवास का एक लोकप्रिय तरीका, जिसे “इंटरमिटेंट फास्टिंग” कहा जाता है, हाल के वर्षों में तेजी से लोकप्रिय हुआ है। यह वजन घटाने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक प्रभावी रणनीति मानी जाती है। लेकिन एक नई वैज्ञानिक स्टडी के अनुसार, इंटरमिटेंट फास्टिंग किशोरों के लिए सुरक्षित नहीं हो सकती, क्योंकि यह उनके कोशिका विकास को प्रभावित कर सकती है।

शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

जर्मनी के टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूनिख (टीयूएम), एलएमयू हॉस्पिटल म्यूनिख और हेल्महोल्त्ज म्यूनिख के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर एक व्यापक शोध किया। उन्होंने बताया कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रभाव उम्र के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग का मुख्य सिद्धांत यह है कि व्यक्ति दिन में केवल 6 से 8 घंटे के भीतर ही भोजन करे और बाकी समय उपवास रखे। यह डायबिटीज, हृदय रोग और मोटापे जैसी समस्याओं को रोकने में मददगार माना जाता है। लेकिन किशोरों पर इसके संभावित दुष्प्रभावों को लेकर अब चिंता बढ़ गई है।

चूहों पर किया गया अध्ययन

यह अध्ययन “जर्नल सेल रिपोर्ट्स” में प्रकाशित हुआ है, जिसमें वैज्ञानिकों ने चूहों पर इंटरमिटेंट फास्टिंग के प्रभावों का अध्ययन किया। अध्ययन में पाया गया कि लंबे समय तक इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से कम उम्र के चूहों में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं (बीटा सेल्स) के विकास में रुकावट आ गई।

प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर स्टीफन हर्जिग ने कहा,
“हमारी स्टडी से यह स्पष्ट हुआ कि इंटरमिटेंट फास्टिंग वयस्कों के लिए फायदेमंद हो सकता है, लेकिन किशोरों के लिए यह कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकता है।”

कैसे किया गया शोध?

इस अध्ययन में किशोर, वयस्क और बुजुर्ग चूहों को तीन समूहों में बांटा गया।

  1. पहले समूह को एक दिन बिना भोजन रखा गया और अगले दो दिन सामान्य आहार दिया गया।
  2. दूसरे समूह को लगातार सामान्य आहार दिया गया।
  3. तीसरे समूह को संतुलित डाइट के साथ नियंत्रित फास्टिंग कराई गई।

दस हफ्तों बाद अध्ययन के नतीजे बेहद चौंकाने वाले थे:

  • वयस्क और बुजुर्ग चूहों में इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ गई, जिससे उनका मेटाबॉलिज्म बेहतर हुआ और वे टाइप 2 डायबिटीज से सुरक्षित रहे।
  • लेकिन किशोर चूहों में बीटा सेल्स की कार्यक्षमता कम हो गई, जिससे उनका इंसुलिन उत्पादन घट गया।
  • कम इंसुलिन का स्तर डायबिटीज और अन्य मेटाबॉलिक समस्याओं को जन्म दे सकता है।

इंसानों पर संभावित प्रभाव

शोधकर्ताओं ने इंसानों के टिशू डेटा से इस अध्ययन की तुलना की, जिससे पता चला कि टाइप 1 डायबिटीज वाले मरीजों में भी बीटा सेल्स के विकास में बाधा हो सकती है।

शोधकर्ता लियोनार्डो मट्टा ने कहा,
“आमतौर पर माना जाता है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग बीटा सेल्स के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन हमने पाया कि कम उम्र के चूहे लंबे समय तक उपवास के बाद कम इंसुलिन बना रहे थे।”

क्या किशोरों को इंटरमिटेंट फास्टिंग करनी चाहिए?

शोधकर्ताओं का सुझाव है कि वयस्कों के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग लाभदायक हो सकती है, लेकिन किशोरों को इससे बचना चाहिए। चूंकि किशोरावस्था में शरीर का विकास तेजी से होता है, इसलिए उन्हें पर्याप्त पोषण मिलना बेहद जरूरी है।

विशेषज्ञों की सलाह

  • किशोरों को संतुलित और पौष्टिक आहार लेना चाहिए।
  • लंबे समय तक फास्टिंग से बचना चाहिए, खासकर अगर वे शारीरिक गतिविधियों में सक्रिय हैं।
  • यदि वजन घटाने की जरूरत हो, तो किसी पोषण विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है।

इंटरमिटेंट फास्टिंग वयस्कों के लिए कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकती है, लेकिन किशोरों में यह कोशिका विकास और इंसुलिन उत्पादन को प्रभावित कर सकती है। इस अध्ययन के नतीजे इस धारणा को चुनौती देते हैं कि यह तरीका सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होता है। अगर आप या आपका कोई परिजन किशोरावस्था में है और फास्टिंग को आजमाने की सोच रहा है, तो पहले डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

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