रोहतक: साध्वी यौन उत्पीड़न मामले में सजा काट रहे सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 30 दिन की पैरोल मिल गई है। यह पैरोल दिल्ली विधानसभा चुनाव के मौके पर दी गई है, और इसके तहत राम रहीम अब अपनी ज़मानत के समय सिरसा स्थित अपने आश्रम लौटने के लिए बाहर आए हैं। यह उनका नौवां अवसर है जब वह पैरोल पर बाहर आए हैं।
राम रहीम मंगलवार सुबह करीब 6:36 बजे रोहतक की सुनारिया जेल से बाहर निकले। उनके साथ हनीप्रीत इंसा भी थीं। वह अब तक जितनी बार पैरोल पर बाहर आए हैं, वह हर बार यूपी के बरनावा आश्रम गए थे, लेकिन इस बार वह सिरसा स्थित अपने डेरा आश्रम जाएंगे। यह उनका जेल से बाहर जाने के बाद पहला मौका है जब वह सिरसा आश्रम लौट रहे हैं।
राम रहीम की पैरोल को लेकर यह महत्वपूर्ण है कि वह इस बार सिरसा में रहेंगे क्योंकि हरियाणा में निकाय चुनाव हो रहे हैं। इससे पहले वह हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान भी पैरोल पर बाहर आए थे, और यूपी के बागपत स्थित आश्रम में 20 दिन की फरलो पर रहे थे।
राम रहीम को 2017 में साध्वी यौन उत्पीड़न और हत्या के आरोपों में दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद उन्हें उम्रभर की सजा सुनाई गई थी। वह तब से रोहतक की सुनारिया जेल में बंद हैं।
चुनावों से पहले उनकी पैरोल का मुद्दा राजनीतिक और सामाजिक चर्चा का विषय बना हुआ है। विपक्षी दलों ने इस पर सवाल उठाए हैं, यह आरोप लगाते हुए कि राम रहीम को पैरोल राजनीतिक फायदे के लिए दिया जाता है। वहीं, समर्थक यह दावा करते हैं कि उनका स्वास्थ्य और अन्य कारणों के चलते यह पैरोल जरूरी था।
राम रहीम की पैरोल के फैसले ने हरियाणा की राजनीति में हलचल मचा दी है, खासकर तब जब वह अपने डेरा समर्थकों के बीच बड़े प्रभावशाली नेता के रूप में देखे जाते हैं।
साध्वी यौन उत्पीड़न मामला और सजा:
गुरमीत राम रहीम को 2017 में यौन उत्पीड़न और हत्या के आरोपों में दोषी ठहराया गया था। इन आरोपों के तहत उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब 2002 में दो साध्वियों ने डेरा प्रमुख के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। बाद में जांच के दौरान हत्या के आरोप भी सामने आए।
राम रहीम की पैरोल और उसके राजनीतिक संदर्भ में चर्चा का मुख्य कारण उनकी बड़ी संख्या में समर्थकों की उपस्थिति है, जो चुनावी समय में उनका समर्थन करते हैं।
राम रहीम की पैरोल को लेकर बढ़ी राजनीतिक बहस और समाज में इसके असर को देखते हुए यह मामला हरियाणा की आगामी चुनावी रणनीतियों पर भी प्रभाव डाल सकता है।