देहरादून। उत्तराखंड के देहरादून में 38वें राष्ट्रीय खेलों का शुभारंभ 28 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करकमलों से होगा। इस ऐतिहासिक आयोजन को प्रेरणादायक और भव्य बनाने के लिए शासन और प्रशासन ने कमर कस ली है। खेल सचिवालय के रजत जयंती खेल परिसर में आयोजित उच्चाधिकारियों की बैठक में खेल मंत्री रेखा आर्या ने उद्घाटन समारोह की तैयारियों की समीक्षा की और इसे सफल बनाने के लिए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
उद्घाटन समारोह में झलकेगी रजत जयंती की छवि
खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि इस आयोजन को भविष्य के लिए एक मिसाल बनाया जाना चाहिए। उन्होंने निर्देश दिया कि उद्घाटन समारोह में उत्तराखंड की स्थापना के रजत जयंती वर्ष की छवि स्पष्ट रूप से प्रदर्शित हो। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश में विकसित खेल सुविधाओं को इस अवसर पर प्रमुखता से प्रस्तुत किया जाए। उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य द्वारा राष्ट्रीय खेलों के सभी इवेंट्स की मेजबानी करना एक बड़ी उपलब्धि है, जिसे समारोह में विशेष रूप से दर्शाया जाएगा।
खेल उपकरण और सुविधाएं लगभग तैयार
बैठक के बाद खेल मंत्री ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय खेलों के लिए जरूरी अधिकतर उपकरण आयोजन स्थलों पर पहुंच चुके हैं। जो कुछ उपकरण अभी आने बाकी हैं, वे भी 20 जनवरी तक पहुंच जाएंगे। उन्होंने प्रस्तावित खेल विश्वविद्यालय के शिलान्यास को उद्घाटन समारोह का हिस्सा बनाने का भी सुझाव दिया। बैठक में विशेष सचिव अमित सिन्हा, खेल निदेशक प्रशांत आर्य और अन्य उच्चाधिकारी मौजूद थे।
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय खेलों की झलक
इस बार गणतंत्र दिवस का आयोजन भी 38वें राष्ट्रीय खेलों के रंग में सराबोर होगा। खेल मंत्री ने मुख्य सचिव को इस संबंध में पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय खेलों से जुड़े विशेष कार्यक्रम और झांकियां प्रस्तुत की जाएं, ताकि देश और प्रदेश के लोगों के मन में खेलों के प्रति प्रेरणा जाग सके।
राष्ट्रीय खेलों से जुड़े प्रमुख बिंदु
- आयोजन स्थल: देहरादून समेत उत्तराखंड के अन्य प्रमुख शहर।
- तारीख: उद्घाटन 28 जनवरी 2025।
- खास आकर्षण: प्रस्तावित खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास और उत्तराखंड की खेल उपलब्धियों का प्रदर्शन।
- गणतंत्र दिवस का आयोजन: राष्ट्रीय खेलों की थीम पर आधारित झांकियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन को लेकर सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियों पर भी जोर दिया जा रहा है। अधिकारियों का मानना है कि यह आयोजन न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश के लिए एक नई खेल परंपरा की नींव रखेगा।