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January 22, 2025 7:31 PM

कोलकाता हाईकोर्ट ने ट्राम ट्रैक को बहाल करने के दिए निर्देश, ट्राम्स को सांस्कृतिक धरोहर बताया

Kolkata High Court Orders Restoration of Tram Tracks,

कोलकाता, (जनवरी 2025) – कोलकाता हाईकोर्ट ने शहर में दबाए गए ट्राम ट्रैकों को बहाल करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इसे कोलकाता की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा मानते हुए यह कदम उठाया। इस आदेश से कोलकाता में ट्राम सेवाओं को जारी रखने की उम्मीदें फिर से जग गई हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां यह सेवाएं बंद कर दी गई थीं।

कोर्ट ने कहा – ट्राम्स कोलकाता की सांस्कृतिक धरोहर हैं

हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करते हुए यह महत्वपूर्ण फैसला लिया। याचिका में यह अनुरोध किया गया था कि कोलकाता में विशेष रूप से संचालित होने वाली ट्राम सेवाओं को बंद न किया जाए और जिन स्थानों पर ये सेवाएं बंद हो चुकी हैं, उन्हें फिर से शुरू किया जाए। पीठ ने कहा, “ट्राम्स कोलकाता की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं और इनका संरक्षण किया जाना चाहिए।” साथ ही, कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि भारत के किसी अन्य शहर में इस तरह की इलेक्ट्रिक ट्राम सेवाएं नहीं चलतीं, जो कोलकाता में हैं।

कोलकाता के ट्राम ट्रैक दबाने की शिकायतें

कोर्ट ने ट्राम ट्रैक को अवैध रूप से दबाए जाने पर चिंता जताई। दो शिकायतों के आधार पर कोलकाता पुलिस को ट्राम ट्रैक दबाने की जांच करने का आदेश दिया गया। इन शिकायतों में आरोप था कि कुछ स्थानों पर यह काम किया गया है। पीठ ने यह भी कहा कि इस तरह की कार्रवाई बिना संबंधित अधिकारियों की मंजूरी के नहीं की जा सकती, और इस मामले की गंभीरता से जांच की जानी चाहिए। अदालत ने पुलिस को यह निर्देश दिया कि वे इस मामले में रिपोर्ट तैयार करें और चार हफ्तों के भीतर इसे कोर्ट में पेश करें, साथ ही आवश्यक फोटो भी प्रस्तुत करें।

राज्य सरकार की जिम्मेदारी

कोर्ट ने राज्य सरकार को यह याद दिलाया कि वह केवल ट्राम सेवाओं को बंद करने का जिम्मेदार नहीं है, बल्कि उसे कोलकाता की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा करने का भी दायित्व है। पीठ ने यह सवाल उठाया कि जब पश्चिम बंगाल सरकार ने महानगर में धरोहर भवनों को संरक्षित करने के लिए एक अलग विभाग बनाया है, तो फिर ट्राम ट्रैक के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है।

ट्राम सेवाओं को बचाने के लिए बड़ा कदम: देवाशीष भट्टाचार्य

कोलकाता ट्राम यूजर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष देवाशीष भट्टाचार्य ने हाईकोर्ट के फैसले को ट्राम सेवाओं को बचाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा, “कोर्ट का यह आदेश एक अच्छी खबर है। जब कोर्ट ने पूछा कि ट्राम लाइन को किसने दबाया, तो यह जानकारी न तो परिवहन विभाग, न ट्रैफिक पुलिस और न ही कोलकाता नगर निगम के पास थी। कोई भी विभाग इस पर काम करने का आदेश नहीं दिया था। अगली सुनवाई में शायद इस मामले में और जानकारी मिले।”

स्विट्जरलैंड का उदाहरण

कोर्ट ने स्विट्जरलैंड का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां ट्राम ट्रैक सड़कों के बीच से गुजरते हैं, ठीक वैसे ही जैसे कोलकाता में होते हैं। यह दिखाता है कि ट्राम ट्रैक को दबाना या इनके रास्ते को अवरुद्ध करना किसी भी तरह से उचित नहीं है, और इससे केवल दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।

कोलकाता हाईकोर्ट का यह निर्णय ट्राम सेवाओं के भविष्य के लिए एक सकारात्मक कदम साबित हो सकता है। यदि ट्राम ट्रैक बहाल होते हैं और ट्राम सेवाएं फिर से चालू होती हैं, तो कोलकाता की सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने में मदद मिलेगी, साथ ही शहर की परिवहन व्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी। यह कदम न केवल कोलकाता की पहचान को बरकरार रखने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि ट्राम सेवाओं के प्रति जनता की जागरूकता और उनका समर्थन भी बढ़ा सकता है।

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