भोपाल: नगर निगम भोपाल में अपने विवादित बयानों और कार्यों के कारण चर्चित हुई अपर आयुक्त निधि सिंह को राज्य सरकार ने एक सिंगल आदेश के तहत हटा दिया है। राज्य सरकार ने मंगलवार को इस निर्णय को लागू किया और उन्हें ग्वालियर में संयुक्त आयुक्त भू-अभिलेख एवं बंदोबस्त के पद पर भेजा गया है।
निधि सिंह के खिलाफ विवाद तब शुरू हुआ जब 13 दिसंबर को नगर निगम परिषद की बैठक में उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश किया गया। इस बैठक में दोनों प्रमुख दलों, भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने उनकी कार्यशैली की आलोचना की और कई गंभीर आरोप लगाए। परिषद की बैठक में निधि सिंह पर काम में लापरवाही, जनप्रतिनिधियों की बातों की अनदेखी, मोबाइल कॉल्स का जवाब न देना और फाइलों को लटकाने जैसे आरोप लगाए गए थे।
इसके बाद, विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों की तरफ से उनके खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास किया गया। इसके अतिरिक्त, कुछ अधिकारियों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग करने के आरोप भी उन पर लगाए गए थे। इन आरोपों के चलते नगर निगम के आयुक्त हरेंद्र नारायण के पास भी कई शिकायतें पहुंची थीं, लेकिन उन्होंने इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठाया और निधि सिंह को समझाने की कोशिश भी नहीं की।
निधि सिंह 2019 बैच की आईएएस अधिकारी हैं और उनके पद के हिसाब से निगम कमिश्नर के बाद वे सीनियरिटी में थीं। हालांकि, उनके खिलाफ लगातार बढ़ते विवादों के कारण उन्हें हटाने का निर्णय लिया गया। आरोप यह भी हैं कि वे भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों को पर्याप्त तवज्जो नहीं देती थीं, जिससे उनका रिश्ता और भी तनावपूर्ण हो गया।
सिंह के हटने के बाद, नगर निगम में प्रशासनिक स्थिति में बदलाव आया है, और अब ग्वालियर के लिए उनका तबादला किया गया है। उनकी नियुक्ति के बाद, नगर निगम प्रशासन में सुधार की उम्मीद जताई जा रही है, ताकि भविष्य में ऐसे विवाद न उत्पन्न हों।
इस घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकार जन प्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच समन्वय और संबंधों को प्राथमिकता देती है, ताकि जनता की सेवा में कोई विघ्न न आए और प्रशासन की कार्यक्षमता बनी रहे।