नई दिल्ली, 6 जनवरी: देश में अब चांदी के आभूषणों के लिए भी हॉलमार्किंग अनिवार्य हो सकती है। केंद्र सरकार ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) को इस मुद्दे पर विचार करने और आवश्यक निर्णय लेने का निर्देश दिया है। खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सोमवार को भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) से चांदी और चांदी से बनी कलाकृतियों के लिए अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू करने की दिशा में विचार करने को कहा। जोशी ने इस पर कहा कि उपभोक्ताओं की ओर से चांदी के आभूषणों के हॉलमार्किंग को लेकर लगातार मांग की जा रही है, और इस मांग को देखते हुए BIS को इस पर विचार करने का निर्देश दिया गया है।
चांदी की हॉलमार्किंग पर विचार शुरू
78वें BIS स्थापना दिवस समारोह के दौरान, प्रह्लाद जोशी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उपभोक्ताओं की मांग के मद्देनजर, सरकार ने BIS से इस मुद्दे पर विचार-विमर्श करने के लिए कहा है। जोशी ने कहा, “चांदी की अनिवार्य हॉलमार्किंग के लिए सरकार ने निर्णय लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। BIS को इसके लिए उपभोक्ताओं और आभूषण डीलरों से प्रतिक्रिया लेने को कहा गया है, ताकि एक व्यापक विचार-विमर्श किया जा सके।” मंत्री ने यह भी कहा कि इस दिशा में काम शुरू हो चुका है और इसके लिए BIS द्वारा हितधारकों के साथ विचार-विमर्श और व्यवहार्यता आकलन के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
चांदी की हॉलमार्किंग: स्वैच्छिक से अनिवार्य बनने की प्रक्रिया
प्रवृत्ति के अनुसार, चांदी की हॉलमार्किंग अब तक स्वैच्छिक रही है, लेकिन उपभोक्ताओं द्वारा इसकी मांग के बाद, BIS अब इसे अनिवार्य बनाने पर विचार कर रहा है। हॉलमार्किंग का उद्देश्य चांदी के आभूषणों की शुद्धता और गुणवत्ता को प्रमाणित करना है, जिससे उपभोक्ताओं को ठगी से बचाया जा सके। वर्तमान में यह प्रक्रिया केवल सोने के आभूषणों के लिए अनिवार्य है, और अब BIS इस प्रक्रिया को चांदी के आभूषणों पर भी लागू करने की तैयारी में है।
BIS की तैयारियां और संभावित समयसीमा
बीआईएस के महानिदेशक प्रमोद कुमार तिवारी ने इस मुद्दे पर जानकारी देते हुए बताया कि ब्यूरो तीन से छह महीने के भीतर चांदी हॉलमार्किंग को अनिवार्य बनाने के लिए तैयार हो सकता है। इसके लिए कई दौर की चर्चाएं हो चुकी हैं और सभी हितधारक इसके पक्ष में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक अद्वितीय छह अंकों वाला अल्फान्यूमेरिक कोड छापने की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है, जिसे चांदी के आभूषणों पर प्रमाण के रूप में लगाया जाएगा।
सोने की हॉलमार्किंग का सफल उदाहरण
यह कदम जून 2021 में शुरू की गई सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग के सफल कार्यान्वयन के बाद उठाया गया है। सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग अब 361 जिलों में अनिवार्य रूप से लागू है, और इस प्रक्रिया ने उपभोक्ताओं को शुद्धता और गुणवत्ता की पुष्टि देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सोने के आभूषणों के लिए अनिवार्य हॉलमार्किंग को लागू करने के बाद, चांदी के आभूषणों की हॉलमार्किंग को लेकर भी सरकार गंभीरता से कदम उठा रही है।
उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ावा
अगर चांदी के आभूषणों के लिए हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया जाता है, तो यह उपभोक्ताओं को आभूषणों की वास्तविक शुद्धता और गुणवत्ता का प्रमाण देगा। इसके साथ ही यह प्रक्रिया उपभोक्ता सुरक्षा को बढ़ावा देने और जालसाजों से बचने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
आगे की दिशा
केंद्र सरकार और BIS अब उपभोक्ताओं और आभूषण उद्योग के सभी हितधारकों से प्रतिक्रिया लेने के बाद एक व्यापक और प्रभावी योजना तैयार करेगा। यह कदम चांदी के आभूषणों के मानकीकरण और गुणवत्ता के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार हो सकता है, जो देश में आभूषण उद्योग को और अधिक विश्वसनीय बनाएगा।
यह निर्णय भारतीय उपभोक्ताओं को उनकी खरीदारी में विश्वास दिलाने के लिए एक सकारात्मक कदम होगा, और आभूषण उद्योग में पारदर्शिता और गुणवत्ता को बढ़ावा देगा।