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February 5, 2025 12:10 PM

बेंगलुरू अदालत ने पत्नी निकिता, सास निशा सिंघानिया और उनके भाई को जमानत दी – अतुल सुभाष आत्महत्या मामले में नया मोड़

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बेंगलुरू, जनवरी 2025: 2024 का एक चर्चित आत्महत्या मामला, अतुल सुभाष की मौत, अब एक नए मोड़ पर आ गया है। बेंगलुरू सिटी सिविल कोर्ट ने इस मामले में आरोपी सिंघानिया परिवार की याचिका स्वीकार करते हुए अतुल सुभाष की पत्नी निकिता सिंघानिया, उनकी सास निशा सिंघानिया और पत्नी के भाई अनुराग सिंघानिया को जमानत दे दी है। इस मामले में तीनों आरोपियों ने 20 दिसंबर 2024 को जमानत की याचिका दायर की थी, और अब अदालत ने उनकी याचिका को मंजूरी दे दी है।

अतुल सुभाष की आत्महत्या: घटनाक्रम

अतुल सुभाष, जो बिहार के समस्तीपुर जिले के निवासी थे, और निकिता सिंघानिया, जो उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की रहने वाली हैं, की शादी 2019 में हुई थी। शादी के कुछ महीनों बाद ही दोनों के बीच पारिवारिक विवाद शुरू हो गए थे, जिनकी वजह से वे कोर्ट में तलाक के मामले में भी उलझे हुए थे। इसके बाद अतुल सुभाष ने आरोप लगाए थे कि उन्हें उनके ससुराल वालों, खासकर उनकी पत्नी निकिता और सास निशा से मानसिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था।

अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर 2024 को अपने जीवन की आंतिम कदम उठाते हुए आत्महत्या कर ली। उनके आत्महत्या के कारणों में पारिवारिक तनाव, पत्नी और ससुराल वालों द्वारा किए गए उत्पीड़न का जिक्र था। आत्महत्या से पहले अतुल सुभाष ने 24 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखा और एक घंटा लंबा वीडियो रिकॉर्ड किया। इस वीडियो में उन्होंने अपनी शादी के बाद के तनावपूर्ण रिश्तों और उत्पीड़न के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने यह सुसाइड नोट एक एनजीओ के व्हाट्सएप ग्रुप में भी भेजा था, जो बाद में वायरल हो गया।

जांच और गिरफ्तारी

अतुल सुभाष की आत्महत्या के बाद, पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच शुरू की। जांच के दौरान यह पता चला कि आत्महत्या से पहले अतुल ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए थे। 14 दिसंबर 2024 को, पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया को गुरुग्राम (हरियाणा) से, उनकी सास निशा सिंघानिया को और पत्नी के भाई अनुराग सिंघानिया को प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) से गिरफ्तार कर लिया था।

हालांकि, अब बेंगलुरू सिटी सिविल कोर्ट ने इन तीनों को जमानत दे दी है, जो इस मामले के नए विकास के रूप में सामने आया है। यह जमानत कोर्ट के आदेश पर दी गई है, जिसके बाद आरोपियों को अस्थायी राहत मिली है।

सुसाइड नोट और वीडियो की वायरल सामग्री

अतुल सुभाष द्वारा छोड़ा गया सुसाइड नोट और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे। इसमें उन्होंने अपनी शादी के बाद के उत्पीड़न और पारिवारिक समस्याओं का जिक्र किया था। वीडियो में अतुल ने अपनी पत्नी और ससुराल वालों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए थे, जिससे यह मामला और अधिक संवेदनशील हो गया। इसके साथ ही यह मामले ने कानूनी और सामाजिक रूप से भी बड़ी बहस छेड़ दी, जिसमें यह सवाल उठाए गए कि घरेलू उत्पीड़न के मामलों में कानूनी मदद और न्याय प्रणाली की क्या भूमिका होनी चाहिए।

अदालत के फैसले और आगे की प्रक्रिया

अब, जब बेंगलुरू कोर्ट ने आरोपियों को जमानत दे दी है, तो इस मामले की कानूनी प्रक्रिया और भी दिलचस्प हो सकती है। जमानत मिलने के बाद, अगले चरण में यह देखा जाएगा कि अदालत इस मामले में आगे क्या कदम उठाती है, और क्या किसी अन्य साक्ष्य या गवाहों के आधार पर आरोपियों पर आगे कोई कार्रवाई की जाएगी।

यह मामला न केवल एक व्यक्तिगत ट्रेजेडी का प्रतीक है, बल्कि घरेलू हिंसा और उत्पीड़न के मामलों में समाज और कानून के दृष्टिकोण को भी सामने लाता है। ऐसे मामलों में जहां एक व्यक्ति को आत्महत्या की ओर बढ़ने पर मजबूर किया जाता है, वहाँ न्याय प्राप्त करने की प्रक्रिया और जमानत के बाद की कानूनी जटिलताओं को समझना जरूरी है।

अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला: बेंगलुरू अदालत द्वारा दिए गए इस फैसले के बाद, यह सवाल उठता है कि क्या जमानत मिलने से आरोपी परिवार को राहत मिलती है या फिर यह मामला और जटिल हो सकता है।

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