भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा के 68 साल पूरे होने का ऐतिहासिक अवसर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा विशेष रूप से मनाया गया। इस मौके पर, विधानसभा अध्यक्ष ने सदस्यों को शुभकामनाएं दी और विधानसभा की संसदीय यात्रा की गौरवमयी उपलब्धियों को याद किया। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर हम भारतीय संविधान को अंगीकार करने की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जो लोकतंत्र, न्याय और समानता की हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
विधानसभा के गौरवमयी सफर का जश्न
1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश राज्य का गठन हुआ और उसी के साथ विधानसभा का गठन भी किया गया। विधानसभा का पहला सत्र 17 दिसंबर 1956 से 17 जनवरी 1957 तक हुआ था, और अब हम 68 साल पूरे कर चुके हैं। यह सत्र भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त दायित्वों का पालन करते हुए हुआ था। इस बीच, मध्य प्रदेश विधानसभा ने जनसेवा, जनहित और समर्पण की जो परंपरा शुरू की, वह आज भी कायम है।
लोकतांत्रिक प्रणाली का अहम हिस्सा
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र के तीन आधार स्तंभों में विधायिका की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सीधे जनता की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं से जुड़ी है। मध्य प्रदेश विधानसभा ने इस भूमिका को बखूबी निभाते हुए राज्य के लोकतांत्रिक इतिहास को संजोने का कार्य किया है।
मिंटो हाल: विधानसभा की ऐतिहासिक इमारत
मिंटो हाल को 1956 में विधानसभा के भवन के रूप में चुना गया था। यह भवन पहले 1946 में हमीदिया कॉलेज के रूप में जाना जाता था, लेकिन 1 नवंबर 1956 से यह विधानसभा का भवन बन गया। 1996 तक यह भवन मध्य प्रदेश की संसदीय यात्रा का महत्वपूर्ण स्थल रहा। इस भवन में राज्य के कई ऐतिहासिक निर्णय हुए हैं, जो प्रदेश के विकास और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से जुड़े रहे हैं।
नई परंपराओं की शुरुआत
विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने इस अवसर पर विधानसभा की कार्यवाहियों में कुछ नई परंपराओं की शुरुआत की है। उन्होंने बताया कि पहली बार चुनकर आने वाले विधायकों को प्राथमिकता देने के लिए एक विशेष व्यवस्था बनाई गई है, ताकि उनकी आवाज अनुभव से दबने न पाए। शून्य काल के दौरान, पहली बार चुने गए विधायकों की सूचनाओं को प्राथमिकता दी जाएगी और उनकी सूचना उसी दिन स्वीकार की जाएगी जब वे प्राप्त होती हैं। यह नवाचार मध्य प्रदेश विधानसभा की 16वीं विधानसभा में लागू किया गया है।
नवाचार और डिजिटल परिवर्तन
विधानसभा की कार्यवाहियों में नवाचार लाने के लिए तकनीकी उपायों को भी अपनाया गया है। ई-विधानसभा प्रक्रिया को लागू करते हुए विधानसभा को हाईटेक और डिजिटल बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। इसका उद्देश्य विधानसभा की कार्यवाहियों को और अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है, जिससे लोगों तक त्वरित और सही जानकारी पहुंच सके।
विधानसभा के गौरवपूर्ण आंकड़े
अब तक 2600 से अधिक व्यक्तियों ने विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया है और 6 लाख 43 हजार से अधिक प्रश्न उठाए गए हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाहियां अब केवल राजनीतिक उद्देश्यों तक सीमित नहीं रह गई हैं, बल्कि यह जनहित और जनसरोकारों के मंच के रूप में विकसित हुई हैं।
मध्य प्रदेश विधानसभा का 68 साल का यह सफर लोकतंत्र, समर्पण और जनता के हितों की रक्षा का प्रतीक है। विधानसभा की कार्यवाहियों में समय-समय पर नवाचार, सुधार और बदलाव लाने की दिशा में किए गए प्रयासों ने इसे न केवल प्रदेश बल्कि देश भर में एक आदर्श बना दिया है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस ऐतिहासिक अवसर पर सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया और भविष्य में विधानसभा की कार्यवाहियों में और भी सुधार की उम्मीद जताई।