प्रयागराज:
प्रयागराज महाकुम्भ-2025 का आयोजन अपनी पूरी धूमधाम से चल रहा है, और इस अवसर पर मकर संक्रांति के दिन 3.50 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं, साधु-संतों, और कल्पवासियों ने संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। मकर संक्रांति का यह दिन महाकुम्भ के दूसरे दिन के रूप में विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा, जब श्रद्धालुओं ने संगम की अविरल-निर्मल त्रिवेणी में स्नान किया और इसे एक आध्यात्मिक अनुभव के रूप में मनाया।
महाकुम्भ का यह आयोजन सनातन धर्म की महान परंपरा और भारत की धार्मिक संस्कृति का प्रतीक है, जहां लाखों श्रद्धालु एक साथ आकर संगम में स्नान करते हैं और अपने जीवन को शुद्ध करने की उम्मीद करते हैं। इस दिन को ‘प्रथम अमृत स्नान’ के रूप में मनाया जाता है, और इसे पुण्य अर्जन का विशेष अवसर माना जाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संदेश:
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस विशेष अवसर पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपना संदेश जारी किया। उन्होंने मकर संक्रांति के अवसर पर संगम में डुबकी लगाने वाले सभी पूज्य संतगणों, कल्पवासियों और श्रद्धालुओं का अभिनंदन करते हुए कहा कि महाकुम्भ एक ऐसा उत्सव है, जो आस्था, समता और एकता के महासमागम का प्रतीक है। उन्होंने इस आयोजन में सहयोग देने वाले सभी प्रशासनिक अधिकारियों, स्वच्छता कर्मियों, स्वयंसेवी संगठनों, नाविकों और अन्य संबंधित विभागों का धन्यवाद भी किया।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि महाकुम्भ का आयोजन केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता और सामूहिक खुशी का भी प्रतीक है। उन्होंने इसे भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की अमिट परंपरा बताया, जिसमें उत्सव, एकता और आस्था की भावना प्रमुख रूप से देखने को मिलती है।
महाकुम्भ का महत्व और सनातन धर्म में उत्सव की परंपरा:
योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि उत्सव भारतीय समाज की सनातन धर्म की परंपरा का अभिन्न हिस्सा है। मकर संक्रांति के अवसर पर लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं और यह पर्व एक उत्सव का रूप लेता है, जो समाज में एकता और खुशी का संचार करता है। उन्होंने इस पर्व के बारे में कहा कि यह पर्व सूर्य देव के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है, और इसका आयोजन पूरे भारत में अलग-अलग नामों से बड़े श्रद्धा भाव से किया जाता है।
मुख्यमंत्री ने मकर संक्रांति के इस विशेष अवसर पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं और इस दिन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि मकर संक्रांति के पर्व पर जो लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं, उनका जीवन हमेशा पवित्र और शांतिपूर्ण रहता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मकर संक्रांति के महापर्व पर महाकुम्भ में प्रथम अमृत स्नान में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर महाकुम्भ की झलकियां साझा करते हुए लिखा, “महाकुम्भ में भक्ति और अध्यात्म का अद्भुत संगम। मकर संक्रांति महापर्व पर महाकुम्भ में प्रथम अमृत स्नान में शामिल सभी श्रद्धालुओं का हार्दिक अभिनंदन।” प्रधानमंत्री ने महाकुम्भ के इस अद्भुत आयोजन को भारत की सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक विविधता के प्रतीक के रूप में संबोधित किया।
महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की भागीदारी:
मकर संक्रांति के इस पर्व पर महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की भागीदारी अभूतपूर्व रही। इस दिन को ‘प्रथम अमृत स्नान’ के रूप में मनाया जाता है, जो महाकुम्भ के प्रमुख स्नान पर्वों में से एक है। श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर पुण्य प्राप्त किया और अपने जीवन को शुद्ध करने की कामना की। विभिन्न स्थानों से आए साधु-संतों ने भी इस अवसर पर भव्य आयोजन किया, जिसमें उन्होंने धार्मिक अनुष्ठान, मंत्र जाप, और हवन किए। इस अवसर पर लाखों श्रद्धालु उमड़ पड़े, जो महाकुम्भ के आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व को और भी बढ़ा रहे थे।
संगम में स्नान करने का धार्मिक महत्व:
महाकुम्भ में संगम में स्नान करने का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। इसे पुण्य प्राप्ति का सर्वोत्तम अवसर माना जाता है। श्रद्धालु मानते हैं कि संगम में स्नान करने से उनके पाप समाप्त हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन को लेकर विशेष आस्था और श्रद्धा का माहौल देखने को मिला, और यह पर्व सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए जीवन का एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया।
संगम में स्नान के बाद श्रद्धालुओं का अनुभव:
श्रद्धालुओं का कहना था कि संगम में स्नान करने से उन्हें मानसिक शांति और आत्मिक संतुष्टि मिली है। उन्होंने कहा कि यह एक दिव्य अनुभव था, जो उनके जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकता है। कई श्रद्धालुओं ने इस आयोजन को एक आंतरिक यात्रा के रूप में देखा, जिसमें उन्हें अपनी आस्था और विश्वास को और भी मजबूत करने का अवसर मिला।
महाकुम्भ-2025 का मकर संक्रांति पर हुआ अमृत स्नान इस आयोजन के महत्व को और बढ़ाता है। यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, सनातन धर्म और आस्था का प्रतीक है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री दोनों ने इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में जुड़े सभी अधिकारियों और श्रद्धालुओं का आभार व्यक्त किया और इस पर्व की सफलता के लिए सभी को बधाई दी। महाकुम्भ की इस अद्भुत भक्ति और अध्यात्मिक यात्रा ने करोड़ों लोगों को एक साथ लाकर भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक समृद्धि का परिचय दिया है।