- राणा के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्यों की जरूरत बताई गई थी
नई दिल्ली । दिल्ली की एक अदालत ने 26/11 मुंबई आतंकी हमले से जुड़े अहम आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा की आवाज़ और हस्तलिपि के नमूने लेने की इजाजत राष्ट्रीय जांच एजेंसी को दे दी है। स्पेशल जज चंद्रजीत सिंह ने यह आदेश देते हुए एनआईए की उस मांग को स्वीकार किया, जिसमें राणा के खिलाफ पुख्ता सबूत जुटाने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्यों की जरूरत बताई गई थी। तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने के लिए एक गोपनीय मिशन ‘ऑपरेशन राणा’ चलाया गया था। 10 अप्रैल को उसे स्पेशल प्लेन से दिल्ली लाया गया और पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे एनआईए की कस्टडी में भेजा गया। 30 अप्रैल को कोर्ट ने उसकी हिरासत 12 मई तक बढ़ा दी है।
पाकिस्तानी सेना का पूर्व डॉक्टर, कनाडा का नागरिक
64 वर्षीय तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है। कभी वह पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर हुआ करता था। 1997 में वह कनाडा जाकर इमिग्रेशन सर्विसेस से जुड़ा कारोबार करने लगा। आगे चलकर अमेरिका में उसने शिकागो सहित कई जगहों पर ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ नाम से ऑफिस खोले। दस्तावेजों के अनुसार, राणा कनाडा, पाकिस्तान, जर्मनी और इंग्लैंड जैसे देशों की यात्रा कर चुका है और करीब 7 भाषाएं बोल सकता है।
बचपन का दोस्त था डेविड हेडली, हमले की साजिश में निभाई थी बड़ी भूमिका
राणा का सबसे खतरनाक जुड़ाव उस समय सामने आया जब पता चला कि वह 26/11 हमले के मुख्य साजिशकर्ता डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है। हेडली की लश्कर-ए-तैयबा से सांठगांठ और भारत में हमलों की योजना में राणा ने न सिर्फ उसकी मदद की, बल्कि आर्थिक सहायता और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी मुहैया कराया। राणा को यह मालूम था कि हेडली किन लोगों से मिल रहा है, क्या बातें हो रही हैं, और किन ठिकानों को टारगेट किया जाना है। 2009 में अमेरिकी जांच एजेंसी FBI ने शिकागो में राणा को गिरफ्तार किया था। उस पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की मदद करने और कोपेनहेगन व मुंबई में हमले की साजिश में शामिल होने का आरोप साबित हुआ। तभी से वह लॉस एंजिलिस के एक डिटेंशन सेंटर में बंद था।
26/11 हमले की पृष्ठभूमि
26 नवंबर 2008 की रात पाकिस्तान से समुद्री रास्ते भारत में घुसे 10 लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ताज होटल, ओबेरॉय होटल और नरीमन हाउस पर हमला कर 175 लोगों की जान ले ली थी। हमले में 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। 60 घंटे तक चले इस आतंक का अंत 29 नवंबर को हुआ। यह भारत के इतिहास की सबसे भयावह आतंकी घटनाओं में से एक रही। अब तहव्वुर राणा से पूछताछ और उसके सैंपल जांच के बाद एनआईए को उम्मीद है कि हमले से जुड़ी कई परतें और नाम उजागर होंगे।