नई दिल्ली: साल 2024 ने दुनिया और भारत दोनों में ही तापमान के नए रिकॉर्ड तोड़े हैं। मौसम विभाग के अनुसार, भारत में 1901 के बाद यह सबसे गर्म साल रहा है। देश में गर्मी का असर इस साल जबरदस्त था, जिसमें न्यूनतम औसत तापमान में 0.90 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी हुई। इस साल का औसत तापमान 31.25 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 0.90 डिग्री अधिक था। हालांकि, देश के अधिकांश हिस्सों में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है, फिर भी साल 2024 के बारे में मौसम विभाग का कहना है कि यह वर्ष भारत के मौसम इतिहास में सबसे गर्म रहा।
भारत में तापमान की वृद्धि
मौसम विभाग के निदेशक, मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि 2024 में औसत अधिकतम तापमान 31.25 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से 0.20 डिग्री ज्यादा था। वहीं, औसत न्यूनतम तापमान 20.24 डिग्री सेल्सियस था, जो सामान्य से 0.90 डिग्री ज्यादा था। इस साल का तापमान 2016 के रिकॉर्ड को भी पार कर गया, क्योंकि 2016 में सतही हवा का औसत तापमान सामान्य से 0.54 डिग्री अधिक था, लेकिन 2024 में यह तापमान उससे भी अधिक बढ़ा।
मौसम विभाग के अनुसार, साल 2024 में जुलाई, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के महीनों में औसत न्यूनतम तापमान में वृद्धि सबसे ज्यादा देखी गई। यह वर्ष भारत के लिए अभूतपूर्व गर्मी लेकर आया, जिसके प्रभाव से कई क्षेत्रों में कृषि, जल संसाधन और मानव जीवन प्रभावित हुआ।
पूरी दुनिया में 2024 सबसे गर्म साल
भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में साल 2024 अब तक का सबसे गर्म साल साबित हुआ है। यूरोपीय मौसम एजेंसी “कॉपरनिकस” ने यह दावा किया है कि 2024 में धरती के औसत तापमान में 1850-1900 के औद्योगिक समय की तुलना में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि दर्ज की गई। यह बढ़ोतरी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का स्पष्ट संकेत है। मौसम विज्ञानी बताते हैं कि 2024 में 41 दिनों तक अत्यधिक गर्मी दर्ज की गई, जो कि एक खतरनाक स्थिति थी और इसके कारण स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र और विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं पर बुरा असर पड़ा।
जलवायु परिवर्तन का असर
2024 में जलवायु परिवर्तन के कारण रिकॉर्डतोड़ बारिश, विनाशकारी बाढ़, झुलसा देने वाली गर्मी, 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान और जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ी हैं। जलवायु परिवर्तन ने मौसम की चरम स्थितियों को और अधिक गंभीर बना दिया है। यूनाइटेड नेशंस (यूएन) के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के चलते 29 मौसमी घटनाओं में से 26 के खतरे में वृद्धि हुई है।
यूएन मौसम विज्ञानियों का कहना है कि 2024 को “नींद से जगा देने वाली चेतावनी” के रूप में देखा जाना चाहिए। जलवायु परिवर्तन ने इस साल 3,700 से अधिक लोगों की जान ले ली और लाखों लोग विस्थापित हुए। इसके अलावा, विनाशकारी बाढ़, सूखा और अत्यधिक गर्मी के कारण कृषि, जल आपूर्ति और जीवनयापन में गंभीर समस्याएं पैदा हुईं।
जलवायु परिवर्तन और मानवता के लिए खतरा
2024 में जलवायु परिवर्तन के असर के चलते, पूरी दुनिया ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए गर्मी, बर्फबारी में कमी और समुद्र स्तर में वृद्धि देखी है। इन घटनाओं ने मानवता के लिए खतरे की घंटी बजाई है। इसके चलते प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति और अधिक गंभीर हो सकती है, जिससे विभिन्न देशों को गंभीर जलवायु संकट का सामना करना पड़ेगा।
जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया भर में जंगलों की आग, बर्फबारी में कमी, गर्मी और सूखा जैसी घटनाएं बढ़ी हैं, जो पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रही हैं और विभिन्न प्रजातियों के अस्तित्व के लिए खतरा उत्पन्न कर रही हैं। इन घटनाओं के परिणामस्वरूप लाखों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं और कई लोगों की जान भी गई है।
साल 2024 ने जलवायु परिवर्तन के खतरों को और अधिक स्पष्ट कर दिया है। भारत और पूरी दुनिया के लिए यह साल एक चेतावनी के रूप में सामने आया है, जिसे नजरअंदाज करना मानवता के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अब जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की विनाशकारी घटनाओं से बचा जा सके।









