- संयुक्त राष्ट्र ने जारी की वार्षिक रिपोर्ट, 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि का रिकॉर्ड
जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने मंगलवार को अपनी वार्षिक क्लाइमेट स्टेटस रिपोर्ट जारी की, जिसमें खुलासा किया गया कि 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष साबित हुआ है। इसने 2023 के उच्चतम तापमान के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया। रिपोर्ट के अनुसार, इस साल पहली बार वैश्विक तापमान 1850-1900 के आधार रेखा तापमान से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र की महासचिव प्रो. सेलेस्टे साउलो ने 19 मार्च को जारी किया।
2024 में जलवायु परिवर्तन के असर
WMO की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2023 तक का दशक सबसे गर्म दशक रहा, लेकिन 2024 ने सभी पूर्व के रिकॉर्ड तोड़ दिए। इस वर्ष जलवायु परिवर्तन के प्रभाव स्पष्ट रूप से नजर आए:
- तूफान, बाढ़, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं ने 2008 के बाद से सबसे अधिक लोगों को विस्थापित किया।
- लगभग 3.6 करोड़ (36 मिलियन) लोगों को अपने घरों से बेघर होना पड़ा।
- चीन में आए सिचुआन भूकंप के बाद लाखों लोग विस्थापित हुए।
- भारत में बाढ़ ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया और जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया।
- सऊदी अरब, अमेरिका, यूरोप और एशिया में रिकॉर्डतोड़ हीटवेव दर्ज की गई।
- हज यात्रा के दौरान सऊदी अरब में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया।
समुद्रों और ग्लेशियरों पर गंभीर प्रभाव
- महासागर लगातार गर्म हो रहे हैं, जिससे समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र खतरे में पड़ गया है।
- समुद्र का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे तटीय क्षेत्रों पर खतरा मंडरा रहा है।
- ग्लेशियर रिकॉर्ड गति से पिघल रहे हैं, जिससे हिमालय, आर्कटिक और अंटार्कटिका पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।
- समुद्र की अम्लता (Acidification) बढ़ने से समुद्री जैव विविधता प्रभावित हो रही है।
जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया कि 2024 संभवतः पहला कैलेंडर वर्ष है, जब वैश्विक औसत सतही तापमान 1850-1900 के औसत से 1.5 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक औसत सतही तापमान 1.55 ± 0.13 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
जलवायु सेवाओं में निवेश की आवश्यकता
WMO ने अपनी रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाव के लिए अधिक निवेश की जरूरत बताई। इसमें कहा गया कि समय रहते प्रभावी चेतावनी प्रणाली और जलवायु सेवाओं में निवेश किया जाए, ताकि जीवन और आजीविका को सुरक्षित रखा जा सके।
संयुक्त राष्ट्र की महासचिव प्रो. सेलेस्टे साउलो ने कहा,
"इसका मतलब यह नहीं है कि पेरिस समझौते का लक्ष्य पूरी तरह से असंभव हो गया है, लेकिन यह एक स्पष्ट चेतावनी है कि हम अपने जीवन, अर्थव्यवस्था और ग्रह के लिए जोखिम बढ़ा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा कि अगर जलवायु परिवर्तन को नियंत्रित नहीं किया गया, तो इसके विनाशकारी प्रभाव दुनिया भर में देखने को मिलेंगे। उन्होंने सरकारों से हरित ऊर्जा में निवेश करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने की दिशा में तत्काल कदम उठाने की अपील की।
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि 2024 अब तक का सबसे गर्म वर्ष है और जलवायु परिवर्तन के असर अब और अधिक घातक हो रहे हैं। महासागर गर्म हो रहे हैं, ग्लेशियर पिघल रहे हैं, समुद्री स्तर बढ़ रहा है और प्राकृतिक आपदाओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इसी तरह जलवायु परिवर्तन की अनदेखी की गई, तो अगले कुछ वर्षों में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है।
👉 सरकारों और आम जनता को मिलकर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और स्वस्थ पर्यावरण मिल सके।
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