वंदे मातरम् के 150 वर्ष: विविधता में एकता का स्वस्फूर्त जन उत्सव — गजेन्द्र सिंह शेखावत
नई दिल्ली। राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर देशभर में उत्सव का माहौल है। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह केवल एक वर्षगांठ नहीं, बल्कि “विविधता में एकता के महादेश भारत” की सामूहिक कंठ ध्वनि का स्वस्फूर्त जन उत्सव है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् ने भारतीय इतिहास की धारा को बदल दिया और यह गीत दशकों से राष्ट्रभक्ति की सामूहिक चेतना बन चुका है।
गुरुवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए शेखावत ने कहा कि इस गीत की 150वीं वर्षगांठ को देशव्यापी जनोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है। समारोह में संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल भी उपस्थित थे। इस प्रदर्शनी में वंदे मातरम् के 150 वर्षों की प्रेरक यात्रा को प्रदर्शित किया गया है — 1875 में गीत की रचना से लेकर इसके स्वरबद्ध होने तक की ऐतिहासिक झलकियां इस प्रदर्शनी में रखी गई हैं।
शेखावत ने बताया कि वंदे मातरम् के डेढ़ सौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में अगले एक वर्ष तक देशभर के स्कूलों और कॉलेजों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस श्रृंखला की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को नई दिल्ली से करेंगे। प्रधानमंत्री इस अवसर पर वंदे मातरम् के 150 वर्षों को समर्पित वर्षभर चलने वाले राष्ट्रव्यापी समारोह का शुभारंभ करेंगे।
प्रधानमंत्री इस मौके पर एक विशेष डाक टिकट और स्मारक सिक्का भी जारी करेंगे। समारोह के दौरान सुबह दस बजे इंदिरा गांधी स्टेडियम समेत देशभर के अनेक सार्वजनिक स्थलों पर ‘वंदे मातरम्’ के पूर्ण संस्करण का सामूहिक गायन किया जाएगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों के लोग — छात्र, शिक्षक, कलाकार, सेना के जवान और नागरिक — इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनेंगे।
गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि वर्ष 1875 में पूज्य बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने यह गीत लिखा था। अक्षय नवमी के दिन रचा गया यह गीत उनके प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ का हिस्सा बना और आगे चलकर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नाद बन गया। उन्होंने कहा, “वंदे मातरम् केवल एक नारा नहीं, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारे भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह गीत भारत की आत्मा को स्पर्श करने की अद्भुत क्षमता रखता है।”
शेखावत ने बताया कि अब इस गीत का सामूहिक गायन देशभर के कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में अनिवार्य रूप से किया जाएगा ताकि नई पीढ़ी इस गीत की भावना को आत्मसात कर सके।
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इस मौके पर संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने जानकारी दी कि मंत्रालय ने वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष पोर्टल भी जारी किया है। इस पोर्टल पर देशवासी अपनी आवाज़ में यह गीत गाकर अपलोड कर सकते हैं। इसका उद्देश्य इस गीत के प्रति जनसहभागिता और भावनात्मक जुड़ाव को और अधिक मजबूत करना है।
अग्रवाल ने कहा कि वंदे मातरम् ने सदियों से भारतीय समाज को एकजुट रखने का काम किया है। यह केवल शब्दों का मेल नहीं, बल्कि मातृभूमि के प्रति समर्पण का सजीव प्रतीक है। आने वाले एक वर्ष तक देश के विभिन्न राज्यों, विश्वविद्यालयों और सांस्कृतिक संस्थानों में वंदे मातरम् को समर्पित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे — जिनमें सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, वाद-विवाद प्रतियोगिताएं, संगीत समारोह और प्रदर्शनी शामिल होंगे।
शेखावत ने अंत में कहा कि स्वतंत्रता पूर्व काल में जिस गीत ने भारत को एक स्वर में जोड़ा, वही गीत अब स्वतंत्रता के अमृतकाल में “विकसित भारत” के निर्माण के लिए नए राष्ट्रीय आंदोलन का स्वर बनेगा।
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