प्रयागराज। महाकुंभ का आज 11वां दिन है, और आज सुबह 11 बजे तक 23 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में स्नान किया। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ के दौरान अब तक कुल 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु कुंभ स्नान कर चुके हैं। यह आंकड़ा महाकुंभ के विशाल आकार और भव्यता को दर्शाता है।
अखाड़ों और धार्मिक गतिविधियों की धूम
आज सुबह दिगंबर अनी अखाड़े में साधु-संतों ने करतब दिखाए और ढोल-नगाड़ों की धुन पर नृत्य किया। तलवारों के साथ विभिन्न तरह के करतब दिखाए गए, जो कुंभ मेले की भव्यता और धार्मिक उल्लास को और बढ़ाते हैं।
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी इस मौके पर संगम पहुंचे। उन्होंने परिवार के साथ संगम में पवित्र स्नान किया। यह दृश्य श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक और भावनात्मक प्रतीक था।
इसरो द्वारा महाकुंभ की सैटेलाइट तस्वीरें
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने महाकुंभ की सैटेलाइट से ली गई कुछ बेहद आकर्षक तस्वीरें भी शेयर की हैं। इनमें परेड ग्राउंड की तस्वीरें शामिल हैं, जो महाकुंभ से पहले की हैं। इसके अलावा, त्रिवेणी संगम की टाइम सीरीज तस्वीरें भी जारी की गई हैं, जो सितंबर 2023 से दिसंबर 2024 तक के अंतराल को दिखाती हैं। इन तस्वीरों में गंगा पर बने पीपा पुल भी साफ दिखाई दे रहे हैं।
देवकी नंदन ठाकुर का बयान
कथावाचक देवकी नंदन ठाकुर ने महाकुंभ के दौरान लगातार तीसरे दिन श्रीमद्भागवत कथा सुनाई। उनकी कथा शांति सेवा शिविर सेक्टर-17 में चल रही है, जहां भक्तगण बड़ी संख्या में उनकी कथा सुनने आ रहे हैं।
कथा के दौरान देवकी नंदन ठाकुर ने सनातन धर्म के अनुयायियों से 27 जनवरी को महाकुंभ में आयोजित होने वाली सनातन धर्म संसद में बड़ी संख्या में भाग लेने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि इस धर्म संसद में सनातन बोर्ड के निर्माण में सहयोग दिया जाए।
महाकुंभ की ऐतिहासिक महत्ता
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी को हुई थी और अब तक 10 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया है। यह कुंभ मेला हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा आयोजन है, जो प्रत्येक 12 वर्षों में प्रयागराज (इलाहाबाद) में आयोजित किया जाता है। इसमें लाखों श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान करने के लिए आते हैं, ताकि वे अपने पापों से मुक्ति प्राप्त कर सकें और धार्मिक पुण्य अर्जित कर सकें।
इस साल के महाकुंभ में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जुटे हैं, जो न केवल अपनी आस्था की भावना को जीवित रखते हैं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी संजोते हैं। कुंभ का यह आयोजन एक अद्भुत धार्मिक अनुभव है, जो भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है।
महाकुंभ का यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने का भी कार्य करता है। देवकी नंदन ठाकुर के विचार और इस बार के महाकुंभ के भव्य आयोजन ने एक बार फिर भारतीय संस्कृति की महत्ता को विश्वभर में प्रदर्शित किया है।