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February 5, 2025 2:15 PM

पतंजलि के 30 वर्ष: पांच क्रांतियों का शंखनाद, स्वामी रामदेव का संकल्प

पतंजलि के 30 वर्षों की यात्रा और स्वामी रामदेव द्वारा घोषित पांच क्रांतियों को प्रभावी रूप से दर्शाती है

हरिद्वार, 05 जनवरी। पतंजलि योगपीठ ने अपनी 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर हरिद्वार स्थित योगभवन सभागार में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया। इस आयोजन में पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष स्वामी रामदेव और महामंत्री आचार्य बालकृष्ण की उपस्थिति में 6000 से अधिक प्रभारीगण शामिल हुए। स्वामी रामदेव ने पतंजलि के 30 वर्षों के सेवा कार्यों और भविष्य की योजनाओं को रेखांकित करते हुए पांच क्रांतियों की घोषणा की। ये क्रांतियाँ शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक, वैचारिक-सांस्कृतिक और नशा मुक्ति के क्षेत्र में देशव्यापी परिवर्तन लाने के लिए समर्पित हैं।

पहली क्रांति: शिक्षा की आजादी

स्वामी रामदेव ने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली के कारण 50 से 99 प्रतिशत युवा बेरोजगार, नशेड़ी और चरित्रहीन हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पतंजलि गुरुकुलम्, आचार्यकुलम् और पतंजलि विश्वविद्यालय के माध्यम से नई शिक्षा प्रणाली विकसित की जा रही है। भारतीय शिक्षा बोर्ड का उद्देश्य आने वाले पाँच वर्षों में 5 लाख विद्यालयों को जोड़ना है। यह शिक्षा प्रणाली बच्चों को शब्दबोध के साथ आत्मबोध, सत्यपरक भारतबोध और गौरव का बोध कराएगी। पाठ्यक्रम में 80 प्रतिशत हिस्सा वेद, दर्शन, उपनिषद और पुराणों से लिया जाएगा ताकि बच्चों को भारतीय संस्कृति और इतिहास का वास्तविक ज्ञान मिले। अंग्रेजी, हिंदी और संस्कृत में विश्व की जानकारियों का समावेश किया जाएगा, लेकिन भारतीय मूल्यों को केंद्र में रखा जाएगा।

दूसरी क्रांति: चिकित्सा की आजादी

स्वामी रामदेव ने चिकित्सा क्षेत्र में आजादी की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि रोग मानव का स्वभाव नहीं है, बल्कि योग उसका स्वभाव है। पतंजलि योगग्राम, निरामयम और वैलनेस सेंटर के माध्यम से प्राकृतिक चिकित्सा को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने बताया कि पतंजलि ने 5000 से अधिक रिसर्च प्रोटोकॉल तैयार किए हैं और 500 से अधिक रिसर्च पेपर्स विश्वस्तरीय जर्नल्स में प्रकाशित किए हैं। इनका उद्देश्य आयुर्वेद और योग के माध्यम से असाध्य रोगों का समाधान प्रस्तुत करना है। पतंजलि लोगों को रोगों से बचाने के साथ-साथ रोगों के उपचार का भी कार्य कर रहा है।

तीसरी क्रांति: आर्थिक आजादी

स्वामी रामदेव ने कहा कि आर्थिक क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि पतंजलि ने अब तक शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसंधान, राष्ट्र निर्माण और चरित्र निर्माण में 1 लाख करोड़ रुपये की चैरिटी की है। 10 हजार से अधिक सेंटर्स और 25 लाख प्रशिक्षित योग शिक्षकों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण का कार्य हो रहा है। पतंजलि का लक्ष्य है कि स्वदेशी आंदोलन इतना व्यापक बने कि आर्थिक लूट, गुलामी और दरिद्रता से भारत को मुक्ति मिले। उन्होंने बताया कि बीपी, शुगर, थायरॉइड, अस्थमा, आर्थराइटिस, तनाव और अवसाद जैसी बीमारियों की गोलियाँ छुड़ाकर भारत हर साल 100 से 200 लाख करोड़ रुपये बचा सकता है।

चौथी क्रांति: वैचारिक और सांस्कृतिक आजादी

स्वामी रामदेव ने कहा कि भारत को वैचारिक और सांस्कृतिक गुलामी से मुक्त करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व को संस्कृत और सनातन धर्म का ज्ञान दिया है, लेकिन आज यह देश वैचारिक गुलामी की स्थिति में है। पतंजलि वेदधर्म, ऋषिधर्म और योगधर्म को युगधर्म के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयासरत है। स्वामी रामदेव ने बताया कि दुनियाभर के 500 करोड़ से अधिक लोग योग और सनातन धर्म में श्रद्धा रखते हैं। पतंजलि इस दिशा में वैश्विक स्तर पर कार्य कर रहा है ताकि भारत की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्स्थापित किया जा सके।

पांचवीं क्रांति: नशा, रोग-भोग और वासनाओं से आजादी

स्वामी रामदेव ने समाज को नशा, रोग और अश्लीलता से मुक्त कराने के लिए अभियान चलाने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि पतंजलि विश्व को योगमय बनाकर आदर्श नागरिकों का निर्माण करेगा। नशे के कारण युवा वर्ग बर्बाद हो रहा है, और पतंजलि इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए कार्य कर रहा है। पतंजलि का उद्देश्य है कि समाज को नशे, रोगों और वासनाओं से मुक्त कराकर एक स्वस्थ और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण किया जाए।

पतंजलि योगपीठ के 30 वर्ष पूरे होने पर पांच क्रांतियों की घोषणा भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि योगपीठ शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक विकास, वैचारिक स्वतंत्रता और नशा मुक्ति के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह अभियान न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर समाज के समग्र विकास के लिए समर्पित है।

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