नई दिल्ली, 17 दिसंबर 2024: संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार को लोकसभा में ‘एक देश-एक चुनाव’ बिल को मंजूरी दे दी गई। संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024, जिसे देशभर में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एकसाथ कराने के उद्देश्य से लाया गया है, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने पेश किया। इस बिल पर सदन में मतदान के बाद पक्ष और विपक्ष के बीच गहरी खाई साफ नजर आई।
लोकसभा में मतदान का परिणाम
विधेयक पर चर्चा के बाद लोकसभा में मतदान हुआ, जिसमें कुल 467 सांसदों ने भाग लिया।
- विधेयक के पक्ष में: 269 सांसद
- विधेयक के विरोध में: 198 सांसद
मतदान के नतीजों के बाद सदन की कार्यवाही को दोपहर 3 बजे तक स्थगित कर दिया गया।
बिल का उद्देश्य और सरकार का पक्ष
सरकार का कहना है कि ‘एक देश-एक चुनाव’ से देश के संसाधनों की बचत होगी और चुनावी प्रक्रिया सरल बनेगी।
- बार-बार चुनाव कराने से सरकार पर वित्तीय और प्रशासनिक बोझ पड़ता है, जिसे एकसाथ चुनावों से कम किया जा सकता है।
- चुनावी आचार संहिता बार-बार लागू होने से विकास कार्यों पर ब्रेक लग जाता है।
- एक बार में चुनाव कराने से सरकारी मशीनरी का कुशल उपयोग होगा।
कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कहा कि यह बिल देशहित में है और इससे लोकतंत्र को मजबूती मिलेगी। उन्होंने तर्क दिया कि एकसाथ चुनाव से लोगों का समय और संसाधन दोनों बचेंगे।
विपक्ष ने क्यों किया विरोध?
विपक्षी दलों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया।
- विपक्षी नेताओं ने इसे संविधान के संघीय ढांचे के खिलाफ बताया।
- उनका कहना है कि राज्यों के चुनाव एकसाथ कराने से राज्य सरकारों की स्वतंत्रता प्रभावित होगी।
- उन्होंने यह भी तर्क दिया कि चुनावों का अलग-अलग समय पर होना जनता को सरकार के प्रदर्शन पर निर्णय लेने का अवसर देता है।
राज्यसभा में होगी अगली परीक्षा
लोकसभा में पारित होने के बाद यह विधेयक अब राज्यसभा में पेश किया जाएगा। राज्यसभा में इसे पारित कराने के लिए सरकार को बहुमत जुटाना जरूरी होगा। अगर राज्यसभा में भी इसे मंजूरी मिलती है, तो यह बिल राष्ट्रपति के पास अंतिम स्वीकृति के लिए जाएगा।
निष्कर्ष
‘एक देश-एक चुनाव’ बिल के लोकसभा में पास होने के बाद यह एक बड़ा राजनीतिक और संवैधानिक बदलाव बनने की ओर बढ़ रहा है। यह बिल जहां सरकार के लिए विकास कार्यों में सहूलियत का वादा करता है, वहीं विपक्ष के लिए यह एक संघीय ढांचे पर बहस का मुद्दा बना हुआ है। सभी की निगाहें अब राज्यसभा की कार्यवाही पर टिकी हैं, जहाँ इसका अगला भविष्य तय होगा।