October 28, 2025 4:54 PM

भारत में भी बनेंगे रूस के SJ-100 सिविल विमान: HAL और रूसी कंपनी UAC के बीच ऐतिहासिक समझौता

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भारत में भी बनेंगे रूस के SJ-100 सिविल विमान, HAL और UAC के बीच ऐतिहासिक समझौता

छोटे शहरों को मिलेगी हवाई कनेक्टिविटी, ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को मिलेगा बड़ा बढ़ावा

नई दिल्ली / मॉस्को । भारत की विमानन क्षमता में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रूस की यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (PJSC-UAC) के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इस समझौते के तहत भारत में अब रूस के आधुनिक SJ-100 सिविल कम्यूटर एयरक्राफ्ट का निर्माण किया जाएगा। यह पहल देश के छोटे शहरों को हवाई कनेक्टिविटी देने और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को गति देने में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

यह समझौता मंगलवार, 28 अक्टूबर 2025 को मॉस्को में हुआ। इस MoU पर HAL की ओर से प्रभात रंजन और PJSC-UAC की ओर से ओलेग बोगोमोलोव ने हस्ताक्षर किए। इस मौके पर HAL के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डी. के. सुनील और UAC के डायरेक्टर जनरल वादिम बदेका भी मौजूद थे।


भारत में फिर शुरू होगा पैसेंजर विमान निर्माण का नया अध्याय

भारत में आखिरी बार पूर्ण पैसेंजर विमान निर्माण प्रोजेक्ट AVRO HS748 था, जो 1961 से 1988 तक चला। उसके बाद से भारत विदेशी विमानों के आयात पर निर्भर रहा। अब लगभग चार दशकों बाद HAL इस समझौते के जरिए एक बार फिर सिविल एविएशन मैन्युफैक्चरिंग में उतर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह साझेदारी न केवल आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करेगी, बल्कि भारत की वैश्विक एविएशन इंडस्ट्री में स्थिति को भी मजबूत करेगी।


HAL और UAC: दो एयरोस्पेस दिग्गजों का मेल

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) भारत सरकार की रक्षा क्षेत्र की प्रमुख सार्वजनिक कंपनी है, जो तेजस लड़ाकू विमान, ध्रुव हेलीकॉप्टर और कई सैन्य विमानों का निर्माण करती है। HAL ने हाल के वर्षों में सिविल एविएशन क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना बनाई है। कंपनी का कहना है कि यह MoU उसके “डाइवर्सिफिकेशन” यानी विविधीकरण रणनीति का हिस्सा है।

वहीं रूस की PJSC-UAC (पब्लिक जॉइंट स्टॉक कंपनी यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन) दुनिया की अग्रणी एयरोस्पेस कंपनियों में से एक है। यह कंपनी न केवल सैन्य बल्कि सिविल विमानों के उत्पादन में भी अग्रणी है। UAC अब तक 200 से अधिक SJ-100 विमानों का निर्माण कर चुकी है, जो रूस सहित 16 से ज्यादा देशों की वाणिज्यिक एयरलाइंस में संचालित हो रहे हैं।

इस साझेदारी के तहत HAL को भारत में SJ-100 के निर्माण, असेंबली और टेस्टिंग के अधिकार मिलेंगे। यह परियोजना भारत-रूस के लंबे रक्षा संबंधों को सिविल एविएशन के क्षेत्र तक ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।


SJ-100: आधुनिक तकनीक से लैस छोटा लेकिन शक्तिशाली विमान

SJ-100 एक ट्विन-इंजन, नैरो-बॉडी कम्यूटर एयरक्राफ्ट है, जिसे विशेष रूप से छोटे रूट्स के लिए डिजाइन किया गया है। यह विमान 75 से 100 यात्रियों को ले जाने की क्षमता रखता है और 100 से 500 किलोमीटर की दूरी तक की उड़ानों के लिए उपयुक्त है।

रूस में SJ-100 पहले से एक सफल विमान साबित हुआ है और उसकी परफॉर्मेंस तथा फ्यूल एफिशिएंसी को देखते हुए भारत में इसका निर्माण बेहद लाभदायक माना जा रहा है।


भारत के लिए फायदे: UDAN स्कीम को नई रफ्तार

भारत सरकार की “उड़े देश का आम नागरिक” (UDAN) योजना के तहत छोटे शहरों और दूरस्थ इलाकों को हवाई संपर्क से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। HAL का कहना है कि SJ-100 विमान इस योजना के लिए “गेम-चेंजर” साबित होगा।

मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:

  • रिजनल कनेक्टिविटी: अगले दस वर्षों में भारत को 200 से अधिक छोटे जेट विमानों की जरूरत होगी। SJ-100 इस मांग को पूरा कर सकता है।
  • रोजगार सृजन: विमान निर्माण के साथ हजारों इंजीनियरों, तकनीशियनों और सप्लाई चेन कर्मियों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
  • आयात निर्भरता में कमी: फिलहाल भारत 90% सिविल विमान विदेशों से आयात करता है। यह साझेदारी “मेक इन इंडिया” अभियान को मजबूत बनाएगी।
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहुंच: इंडियन ओशन रीजन (IOR) में 350 से अधिक नए विमानों की मांग है। SJ-100 भारत में बनकर मालदीव, श्रीलंका और अफ्रीका जैसे देशों को निर्यात किया जा सकेगा।

HAL और UAC के अधिकारियों ने क्या कहा

HAL के चेयरमैन डी. के. सुनील ने इस समझौते को भारत की सिविल एविएशन इंडस्ट्री के लिए ऐतिहासिक बताते हुए कहा,

“यह परियोजना भारत के विमानन इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगी। SJ-100 देश की क्षेत्रीय उड़ानों के लिए सबसे उपयुक्त विमान साबित होगा।”

वहीं UAC के डायरेक्टर जनरल वादिम बदेका ने कहा,

“भारत और रूस के बीच दशकों पुराने सहयोग को हम अब सिविल एविएशन क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं। यह एक रणनीतिक साझेदारी है जो दोनों देशों को लाभ पहुंचाएगी।”


वित्तीय और तकनीकी पहलू

हालांकि इस परियोजना की सटीक वित्तीय जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन अनुमान है कि प्रत्येक SJ-100 विमान की लागत 20 से 25 मिलियन डॉलर के बीच होगी। रूस HAL को डिजाइन, इंजन सपोर्ट और असेंबली टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराएगा।


प्रोडक्शन का रोडमैप

  • शॉर्ट-टर्म योजना: अगले एक से दो वर्षों में प्रोटोटाइप तैयार किया जाएगा और उसका परीक्षण एवं प्रमाणन किया जाएगा।
  • लॉन्ग-टर्म लक्ष्य: अगले दस वर्षों में 200 से अधिक SJ-100 विमानों का निर्माण किया जाएगा। इनमें से कुछ घरेलू उपयोग के लिए और कुछ निर्यात के लिए होंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो भारत न केवल सैन्य विमान निर्माण में बल्कि सिविल एविएशन सेक्टर में भी वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर सकेगा।



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